हिमाचल प्रदेश चुनाव को लेकर गहमागहमी हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रही है. कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया है कि उनके पास मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर वीरभद्र सिंह के होने का फायदा मिलेगा. हिमाचल में 9 नवंबर को मतदान होना है.
जहां बीजेपी ने सभी 68 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है, वहीं कांग्रेस की पहली लिस्ट में 59 नाम नजर आए. कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट 18 अक्तूबर को जारी की थी. इसमें 9 उम्मीदवारों के नाम नहीं हैं. इससे इन अटकलों को हवा मिली है कि कांग्रेस में पार्टी टिकट को लेकर अभी तक आम सहमति नहीं बनी है और राज्य नेताओं के बीच आपसी खींचतान जारी है. हिमाचल कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी खींचतान के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "हर संगठन में जब भी कुछ बदलाव होता है तो कुछ लोग उसे पसंद करते हैं और कुछ लोगों को वह रास नहीं आता. विरोध होना स्वाभाविक है. पर विरोध के बावजूद हम एकजुट होकर साथ चलते हैं."
पार्टी के राज्य संगठन में ऊपरी स्तर पर खींचतान की बात तब भी सामने आयी थी जब ‘राज्य प्रचार समिति’ का प्रमुख बनाने की घोषणा की गयी. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से पहले सुक्खू को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया. किन्तु उसके कुछ वक्त बाद ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को इस समिति का अध्यक्ष बना दिया गया. चुनाव में सत्ता विरोधी असर के बारे में पूछे जाने पर सुक्खू ने कहा:
हमारा संगठन इतना मजबूत है कि वह सत्ता विरोधी वजहों से निबट सकता है. साथ ही इस बार पार्टी ने जिन भी लोगों को टिकट दिये हैं, उनकी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह मौका दिया गया है. इसके कारण हम सत्ता विरोधी लहर से मुकाबला करने में काफी हद तक कामयाब रहेंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी के पास मुख्यमंत्री का चेहरा होने के कारण उसे फायदा मिलेगा, सुक्खू ने कहा, "निश्चित तौर पर हमारे पास सीएम चेहरा होने का फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि विपक्षी बीजेपी भ्रमजाल में फंसी है इसलिए उसने मुख्यमंत्री का कोई चेहरा घोषित नहीं किया है.
(इनपुट- भाषा)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)