हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के कई सीटिंग विधायकों के टिकट काटे गए और कुछ की सीट में फेरबदल भी किया गया. ऐसे में जानने की कोशिश करते हैं कि क्या बीजेपी का ये फैसला हिमाचल में उनकी हार की वजह बना और क्या इस वजह से कांग्रेस को भी कोई नुकसान उठाना पड़ा?
शिमला शहरी सीट: इस सीट से मौजूदा विधायक और हिमाचल के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज की सीट बदलकर उन्हें कुसुम्पट्टी का उम्मीदवार बनाया गया. उनकी जगह बीजेपी ने इस सीट से संजय सूद को उतारा गया.
क्या रहा इस फैसले का असर? : ये फैसला बीजेपी के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं रहा. घाटा दोनों तरफ से हुआ.
एक तरफ जहां शिमला में बीजेपी प्रत्याशी संजय सूद को कांग्रेस के हरीश जनारथा से शिकस्त मिली.
वहीं कुसुम्पट्टी में सुरेश भारद्वाज जीत हासिल नहीं कर पाए. यहां वो कांग्रेस के ही अनिरुद्ध सिंह से हार गए.
नूरपुर के विधायक को फतेहपुर से लड़ाने का क्या रहा असर?: नूरपुर से विधायक और हिमाचल प्रदेश के मंत्री राकेश पठानिया की सीट बदलकर उन्हें फतेहपुर से चुनाव लड़ाने का फैसला पार्टी आलाकमान ने किया.
क्या रहा इस फैसले का असर? : बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले राकेश पठानिया की सीट बदलने का नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा.
राकेश पठानिया को फतेहपुर में हार का सामना करना पड़ा. वो कांग्रेस के भवानी सिंह से हारकर दूसरे नंबर पर रहे.
ये वही सीट है जहां बीजेपी के ही एक बागी नेता और 2017 में इसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार कृपाल परमार भी खड़े हुए थे. हालांकि, उन्हें ज्यादा वोट तो नहीं मिले, लेकिन सिर्फ 2794 वोट जो उन्होंने काटे वो सीधे-सीधे बीजेपी के हो सकते थे.
हालांकि, नूरपुर में जहां से राकेश पठानिया की जगह रणबीर सिंह को टिकट दी गई थी. वो जीत हासिल करने में कामयाब रहे.
मंडी के द्रंग से जवाहर ठाकुर का टिकट कटने का असर: मंडी जिला सीएम जयराम ठाकुर का गढ़ माना जाता है. यहां की 10 सीटों में बीजेपी ने 9 में जीत हासिल की है.
जवाहर ठाकुर द्रंग विधानसभा सीट से विधायक थे. जिनका टिकट काटकर उनकी जगह पूरन चंद को टिकट दिया गया. हालांकि, पूरन सिंह ने मामूली अंतर से कांग्रेस के कौल सिंह को हराकर जीत हासिल की.
करसोग से मौजूदा विधायक का टिकट काटने का असर: करसोग से मौजूदा विधायक हीरालाल का टिकट काटकर उनकी जगह दीप राज को टिकट दिया गया था. जहां फिर से बीजेपी ने जीत हासिल की है. वो अपने प्रतिद्वंदी और कांग्रेस प्रत्याशी महेश राज से करीब 11 हजार वोटों से जीते हैं.
आनी सीट से प्रत्याशी बदलने का असर: बीजेपी ने आनी सीट से किशोरीलाल का टिकट काटकर उनकी जगह लोकेंद्र को टिकट दिया गया था. जिन्होंने निर्दलीय पारसराम को हराकर ये सीट अपने नाम की है.
धर्मशाला सीट में मौजूदा विधायक की टिकट काटने का असर: धर्मशाला सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक विशाल नेहरिया का टिकट काटकर राकेश कुमार को खड़ा किया था.
क्या रहा रिजल्ट?: यहां से बीजेपी अपनी सीट बचाने में नाकाम रही. राकेश कुमार अपने प्रतिद्वंदी और कांग्रेस पत्याशी सुधीर शर्मा से करीब 3000 मतों से हार गए.
कांगड़ा की ज्वाली सीट में पुराने प्रत्याशी को टिकट न देने का बीजेपी पर असर: इस सीट से अर्जुन सिंह की टिकट काटकर संजय गुलेरिया को दी गई थी.
संजय गुलेरिया अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे. उनके कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र कुमार ने यहां से जीत हासिल की.
भोरंज विधानसभा सीट से प्रत्याशी बदलने का बीजेपी पर असर: यहां से कमलेश कुमारी की जगह अनिल धीमान को उतारा गया था.
अनिल धीमान अपनी सीट नहीं बचा पाए. उनके खिलाफ लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार ने बहुत ही मामूली अंतर से जीत दर्ज की है. यानी यहां से बीजेपी प्रत्याशी बदलने का फायदा बीजेपी को नहीं मिला.
भरमौर में प्रत्याशी बदलने का क्या हुआ बीजेपी पर असर?: यहां से जियालाल की जगह जनकराज को टिकट दिया गया था. जिन्होंने कांग्रेस के ठाकुर सिंह भरमौरी को हराकर जीत हासिल की है.
मंडी जिले की 10 विधानसभा सीटों में से काटे गए 5 विधायकों के टिकट, क्या रहा असर? :
मंडी जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं, जहां से 5 विधानसभा सीटों में प्रत्याशी बदले गए थे.
इनमें से करसोग और द्रंग के बारे में हम ऊपर बता ही चुके हैं कि यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की है. इसके अलावा सरकाघाट,द्रंग और जोगिंदर नगर सीटें भी बीजेपी के पाले में गई हैं.
वहीं धर्मपुर में बीजेपी प्रत्याशी रजत ठाकुर को कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रशेखर ने हराया.
कुल मिलाकर बीजेपी ने दो सिटिंग विधायकों की सीट बदली जिससे दोनों ही सीटों बीजेपी को 3 सीटों पर नुकसान हुआ.
पहला नुकसान शिमला शहरी सीट का नुकसान हुआ.
दूसरा नुकसान कुसुम्पट्टी में हुआ, जहां से शिमला शहरी सीट के प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज को लड़ाया गया. वहां भी वो अपनी सीट हार गए.
तीसरा नुकसान नूरपुर विधायक राकेश पठानिया को फतेहपुर लाने से हुए. वो ये सीट हार गए.
इसके अलावा, हमने 16 ऐसे बागी नेताओं के बारे में भी जानकारी इकट्ठा की जो बीजेपी से टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ गए. हालांकि, इनमें से एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया.
किन्नौर के तेजवंत सिंह नेगी - हारे
अन्नी से किशोरी लाल - हारे
कृपाल परमार - फतेहपुर- हारे
चंबा से इंदिरा निर्दलीय हार गईं- हारे
कांगड़ा से कुलभाष चौधरी - हारे
धर्मशाला से विपिन नेहरिया - हारे
बड़सर से संजीव निर्दलीय - हारे
बिलासपुर से सुभाष शर्मा- हारे
झंडूता से राजकुमार कौंडल- हारे
नाचन से ज्ञानचंद निर्दलीय-हारे
मंडी से प्रवीण शर्मा निर्दलीय- हारे
सुंदरनगर से अभिषेक ठाकुर- हारे
कुल्लू से राम सिंह- हारे
मनाली से महेंदर सिंह ठाकुर- हारे
बंजार से हितेश्वर सिंह- हारे
देहरा से होशियार सिंह- हारे
कुल मिलाकर बीजेपी ने जहां-जहां उम्मीदवार बदले और मौजूदा विधायकों को हटाकर दूसरी जगहों से लड़वाया. ऐसी करीब 6 जगहों से बीजेपी की हार हुई है.
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