बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाली एनडीए को टक्कर देने के लिए जैसे-तैसे इंडिया गुट (INDIA Bloc) बना, फिर सीट शेयरिंग भी जोड़-तोड़ कर हो गई. लेकिन जब बारी घोषणा पत्र (Manifesto) की आई तो विपक्षी दलों का घोषणा पत्र एक-दूसरे से कई मुद्दों पर मेल खाता दिख रहा है तो कई अन्य मुद्दों पर वादे अलग-अलग हैं. चलिए देखते हैं...
किन मामलों में इंडिया गुट का घोषणा पत्र एक जैसा है...?
जम्मू-कश्मीर:
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की बात की है.
लेकिन सीपीआई (एम) और सीपीआई ने एक कदम आगे बढ़कर "विशेष दर्जे के साथ" पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया है, जबकि सीपीआई (एम) का कहना है कि "जम्मू-कश्मीर की धारा 370 द्वारा दी गई स्वायत्त स्थिति से जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों की रक्षा होगी."
निजी क्षेत्र में आरक्षण:
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण के मुद्दे पर, कांग्रेस का घोषणापत्र कहता है कि शैक्षणिक संस्थानों में कोटा दिया जाएगा. कांग्रेस ने कहा कि, “हम एससी, एसटी और अनुसूचित जनजाति के लिए निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 (5) के संदर्भ में एक कानून बनाएंगे.”
वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि वह प्राइवेट सेक्टर में सभी वर्गों के लिए "प्रतिनिधित्व" सुनिश्चित करेंगे.
डीएमके का कहना है, "प्राइवेट सेक्टर में सकारात्मक नीतियों को लागू करने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जाएगी."
सीपीआई (एम) और सीपीआई ने एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांगों के लिए प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का वादा किया है.
राज्यपाल कार्यालय:
राज्यपाल (गवर्नर) कार्यालय को लेकर, कई विपक्ष शासित राज्यों और बीजेपी के नेतृत्व वाले केंद्र के बीच विवाद का विषय बन गया है.
कांग्रेस के घोषणापत्र में आरोप लगाया गया है कि "गैर-बीजेपी शासित राज्यों के राज्यपालों को चुनी गई सरकारों के कामकाज को बाधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है." वहीं कांग्रेस ने "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन करने और यह घोषणा करने का वादा किया है कि उपराज्यपाल सेवाओं सहित सभी मामलों पर (तीन आरक्षित विषयों से संबंधित मामलों को छोड़कर) दिल्ली के मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करेंगे."
डीएमके ने वादा किया कि "नई सरकार सिफारिश के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्रियों के परामर्श से ही राज्यपालों की नियुक्ति करेगी."
सीपीआई (एम) ने "राज्यपालों की वर्तमान भूमिका और स्थिति की समीक्षा" करने का वादा किया है और यह सुनिश्चित किया कि राज्यपालों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सीएम द्वारा सुझाए गए तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों के पैनल से की जाएगी.
जाति जनगणना: कांग्रेस समेत समाजवादी पार्टी और कुछ अन्य पार्टियों ने भी जाति आधारित जनगणना का वादा किया है.
अग्निपथ योजना: अग्निवीर योजना काफी सुर्खियों में रही, जमीन पर इसके खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन भी देखें गए हालांकि बाद में चीजें ठंडे बस्ते में चली गई. लेकिन अब "इंडिया" गुट की कई पार्टी जैसे कांग्रेस, आरजेडी ने अग्निवीर योजना को खत्म करने की बात अपने घोषणा पत्र में कही है.
MSP: एमएस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को अपनाने को लेकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी और सीपीआई (एम) ने फसलों के एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी का वादा किया है. वहीं आरजेडी ने 10 फसलों पर MSP लाने की घोषणा की है.
MNREGA: ग्रामीण इलाकों में रोजगार देने वाली स्कीम को लेकर भी "इंडिया" गुट के घोषणा पत्र में वादे किए गए हैं.
कांग्रेस और डीएमके ने मनरेगा के तहत मजदूरी को बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन करने का वादा किया है
समाजवादी पार्टी ने इसे 450 रुपये करने का वादा किया है.
सीपीआई (एम) और सीपीआई ने इसे 700 रुपये तक बढ़ाने का वादा किया है.
डीएमके और समाजवादी पार्टी ने योजना के तहत काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 150 करने का वादा किया है.
लेफ्ट ने इसे 200 दिन तक बढ़ाने का वादा किया है.
रोजगार:
कांग्रेस ने केंद्र सरकार में खाली पड़े लगभग 30 लाख पदों को भरने का वादा किया है.
आरजेडी ने एक करोड़ सरकारी नौकरियों का वादा किया है.
समाजवादी पार्टी ने खाली पदों को भरने और राष्ट्रीय रोजगार नीति और रोजगार बनाने की बात कही गई है. हालांकि एसपी ने कोई आंकड़ा नहीं दिया.
राज्यों को विशेष दर्जा: "इंडिया" गुट के दलों ने अपने घोषणा पत्र में कुछ खास राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही है.
आरजेडी के घोषणा पत्र में सबसे ऊपर बिहार को विशेष दर्जा देने और 1.6 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज देने का वादा है.
वहीं कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के चुनाव को लेकर जारी घोषणा पत्र में राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया है.
I.N.D.I.A ब्लॉक के दलों का घोषणा पत्र किन मामलों में अलग-अलग?
पुरानी पेंशन व्यवस्था:
इंडिया गुट की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस और डीएमके पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) की बहाली पर चुप हैं; जबकि कई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में ओपीएस की बहाली को लेकर मुद्दा उठाया गया था. यही नहीं, राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार ने इसे लागू भी कर दिया था.
वहीं समाजवादी पार्टी, आरजेडी, सीपीआई (एम) और सीपीआई ने ओपीएस को फिर बहाल करने का वादा किया है.
टीएमसी ने भी पुरानी पेंशन की बात नहीं की, हालांकि टीएमसी ने 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए वर्तमान वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ाकर ₹1,000 प्रति माह करने का वादा किया है यानी साल का ₹12,000 मिलेगा.
CAA-NRC:
कांग्रेस समाजवादी पार्टी और आरजेडी ने सीएए पर चुप्पी साधी हैं.
वहीं डीएमके, सीपीएम और सीपीआई ने सीएए को खत्म करने का वादा किया है.
टीएमसी ने कहा है कि सीएए को खत्म कर दिया जाएगा और एनआरसी को बंद कर दिया जाएगा.
घोषणा पत्र को लेकर इस तरह का विश्लेषण करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि इंडिया गुट की पार्टियों ने एक साझा मसौदा तैयार करने और संयुक्त रैलियों को आयोजित करने पर विचार किया था लेकिन इंडिया गुट अब तक इन दोनों में से एक भी काम नहीं कर पाया है.
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