भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इशरत जहां मामले को लेकर एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधा है. बीजेपी ने मंगलवार को सवाल उठाते हुए कहा है कि तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिंदबरम ने इशरत जहां मामले में साल 2009 में दूसरे हलफनामे में बात बदलने का फैसला आखिर किसके प्रभाव में आकर लिया था.
बीजेपी के निशाने पर सोनिया
बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस पर राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे से समझौता करने का आरोप लगाया है.
छह अगस्त, 2009 को दाखिल पहले हलफनामे में सरकार ने कहा कि इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी थी. इसके मात्र 45 दिनों बाद 30 सितंबर को तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिंदबरम के हस्ताक्षर वाला दूसरा हलफनामा दायर किया गया, जिसमें कहा गया कि वह आतंकवादी नहीं थी. हम जानना चाहते हैं कि 45 दिनों में आखिर क्या बदल गया? हलफनामे को बदलने के लिए आखिरकार चिदंबरम को किसने आदेश दिया. उस वक्त तो कांग्रेस में केवल एक ही कमान केंद्र था और वह था 10 जनपथ.संबित पात्रा, प्रवक्ता, बीजेपी
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने तो ये भी कहा कि कांग्रेस नरेंद्र मोदी पर हमला करने आए आतंकियों को बचाने की कोशिश कर रही थी.
मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और पी. चिदंबरम, तीनों नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, लेकिन आतंकवाद को बर्दाश्त कर सकते हैं.संबित पात्रा, प्रवक्ता, बीजेपी
गुजरात पुलिस के मुताबिक मोदी को मारने आई थी इशरत
मुंबई के एक कॉलेज की छात्रा इशरत जहां और उसके तीन कथित सहयोगियों प्रणेश गोपीनाथ पिल्लई, अमजद अली और जीशान गौहर को गुजरात पुलिस ने 15 जून, 2004 को अहमदाबाद में एक कथित मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था. गुजरात पुलिस ने चारों को पाकिस्तान के एक आतंकवादी संगठन का सदस्य करार दिया था, जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर से गुजरात आए थे.
कबूलनामे में हेडली ने भी बताया था इशरत को आतंकी
इस साल फरवरी में लश्कर-ए-तैयबा के पूर्व आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने मुंबई की एक अदालत के सामने कबूल करते हुए कहा था कि इशरत जहां पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य थी.
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