कर्नाटक में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाने के बाद सरकार बनाने की जोड़-तोड़ शुरू हो गई है. खबर है कि बीजेपी लिंगायत विधायकों को तोड़ने में लगी है तो कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) के बीच सरकार बनाने के फॉर्मूले पर बातचीत जारी है.
इस फॉर्मूले के मुताबिक मुख्यमंत्री जनता दल (एस) का होगा और डिप्टी सीएम कांग्रेस का. कैबिनेट में 20 मंत्री कांग्रेस के होंगे और 14 जनता दल (एस) का. सूत्रों के मुताबिक अगर फॉर्मूले पर सहमति बन जाती है तो जनता दल (एस) और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार बन सकती है.
कांग्रेस का रुख आक्रामक
इस बीच, कांग्रेस सरकार बनाने के मामले में ज्यादा आक्रामक दिख रही है. जनता दल (एस) ने भी अपनी कोशिश तेज कर दी है. बेंगलुरू के अशोका होटल में पार्टी के नेता एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमास्वामी की कांग्रेस नेताओं से बातचीत चल रही है. बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और डीके शिवकुमार भी मौजूद थे.
राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. लेकिन कांग्रेस को 78 और जनता दल (एस) को 38 सीटें मिली हैं. किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं है. ऐसे में क्या राज्यपाल कांग्रेस और जनता दल को सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे. या फिर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी को न्योता देकर बहुमत साबित करने के लिए कहेंगे. राज्यपाल क्या करेंगे इस पर सबकी निगाहें हैं.
बीजेपी को पहले मिल सकता है सरकार बनाने का न्योता
माना जा रहा है कि राज्यपाल बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं. लेकिन अगर वह इसके लिए कांग्रेस और जनता दल (एस) के विधायकों को अपने पाले में नहीं कर सकी तो जनता दल (एस) और कांग्रेस मिल कर सरकार बना सकता है . लेकिन अहम सवाल यह है कि दोनों पार्टियां किसी सर्वमान्य फॉर्मूले पर सहमत हो पाती है या नहीं. उम्मीद है कि दोनों इस मामले में लचीला रुख अपनाएंगे और बीजेपी को सत्ता से दूर रखना चाहेंगे.
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