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लालू प्रसाद यादव के बिना झारखंड चुनाव में आरजेडी का ग्राफ गिरा

पिछले चुनाव में पार्टी को नहीं मिली थी एक भी सीट

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बिहार में सियासत की एक धुरी माने जाने वाली राष्ट्रीय जनता दल का ग्राफ पड़ोसी राज्य झारखंड में गिरता रहा है. झारखंड के नेताओं को इस विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में खोई हुई जमीन लौटाने की चुनौती है. हालांकि, इस चुनाव में आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद की कमी भी यहां के नेताओं को खल रही है.


बिहार से अलग झारखंड के बनने के बाद आरजेडी की पहचान मजबूत पार्टी के तौर होती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता गया, वैसे-वैसे उसकी जमीन सिमटती चली गई.

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इस विधानसभा चुनाव में आरजेडी एक बार फिर पूरी ताकत के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी है. झारखंड राज्य गठन के पहले आरजेडी झारखंड के कई क्षेत्रों में काफी मजबूत था, लेकिन झारखंड गठन के बाद से ही उसका कुनबा ध्वस्त होता चला गया. 

पिछले चुनाव में पार्टी को नहीं मिली थी एक भी सीट

पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका. इस बार गठबंधन के साथ सात सीटों पर चुनाव मैदान में है. पार्टी ने हुसैनाबाद, चतरा, छतरपुर, कोडरमा, बरकठ्ठा, देवघर और गोड्डा से अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

1995 में झारखंड (उस समय बिहार राज्य का हिस्सा था) में 14 सीटें तक जीती थी, मगर झारखंड बनने के बाद से आरजेडी की जमीन पर अन्य दल कब्जा जमाते चले गए. पिछले चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, जबकि 2009 में पांच सीटों पर कब्जा जमाकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब हो सकी थी.

आरजेडी के एक नेता कहते हैं कि अपने नेताओं का साथ कभी नहीं मिला. आरजेडी के महत्वपूर्ण नेता पार्टी छोड़ते चले गए. उन्होंने कहा इस साल हुए लोकसभा चुनाव के पहले आरजेडी की अध्यक्ष रहीं अन्नपूर्णा देवी पार्टी छोड़कर बीजेपी में चली गईं और कोडरमा से सांसद बन गईं. इसी तरह गिरिनाथ सिंह पार्टी छोड़कर चले गए.

लालू की कमी

इस चुनाव में आरजेडी पूरी ताकत के साथ अपनी खोई जमीन वापस लाने के लिए पसीना बहा रही है. प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह कहते हैं कि इस चुनाव में पार्टी ने पांच ऐसी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जो सीटें 2009 के चुनाव में पार्टी के कब्जे में थी. सिंह भी मानते हैं कि इस चुनाव में लालू प्रसाद की कमी अखर रही है, उनके जैसा कोई स्टार प्रचारक नहीं है.

आरजेडी ने फिलहाल 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है, इसमें लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को भी जगह दी गई है.

आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष सिंह कहते हैं,

पार्टी को लालू प्रसाद जैसे स्टार प्रचारक की कमी पिछले चुनाव से ही खल रही है. पार्टी को अभी तक उनके बराबर का नेता नहीं मिल पाया है. चुनावों में लालू प्रसाद को सुनने के लिए हर वर्ग के लोगों की भीड़ होती थी.

झारखंड में विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव हो लालू का जलवा देखने के लिए उनकी चुनावी सभाओं में काफी भीड़ रहती थी.

चर्चित चारा घोटाले के कई मामलों में सजा पा चुके लालू प्रसाद रांची की एक जेल में हैं. फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से वह रिम्स में भर्ती हैं. पार्टी के नेता-कार्यकर्ता जेल के नियम के मुताबिक उनसे मिलते हैं और रणनीतियां तय करते हैं, लेकिन नेताओं और कार्यकर्ताओं को कसक है कि इस चुनाव में लालू प्रसाद नहीं हैं.

(इनुपट IANS)

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