ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आखिरकार कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. सिंधिया ने सोनिया गांधी को दिए इस्तीफे में सिंधिया ने कहा कि मैं अपने राज्य और देश की सेवा करना चाहता हूं. लेकिन कांग्रेस में रहते हुए मेरे लिए यह करना मुमकिन नहीं था. सिंधिया ने ये भी साफ किया है कि इस इस्तीफे के कहानी एक साल पहले ही शुरू हो गई थी.
भले ही ये इस्तीफा होली के दिन 10 मार्च को बाहर आया हो लेकिव ये 9 मार्च को ही लिखा जा चुका था. सिंधिया ने जो चिट्ठी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को लिखी है उसमें 9 मार्च की तारीख दर्ज है. हालांकि सिंधिया ने इस्तीफा पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से सिंधिया की मुलाकात के बाद ट्वीट किया.
जानिए क्या लिखा है इस्तीफे में
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफे की शुरूआत में लिखा –
‘डियर मिसेज गांधी, 18 साल से कांग्रेस का सदस्य होने के बाद यह समय अब मेरे लिए आगे बढ़ने का है. मैं कांग्रेस की अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं. जैसा कि आप जानती हैं मेरे इस सफर की शुरुआत पिछले साल ही हो गई थी. मेरे उद्देश्य पहले की ही तरह हैं. मैं अभी भी अपने राज्य और देश की सेवा करना चाहता हूं. लेकिन कांग्रेस में रहते हुए मेरे लिए यह करना मुमकिन नहीं था.मैं अपने लोगों और कार्यकर्ताओं के भरोसे के साथ नई शुरूआत कर रहा हूं. कांग्रेस के पार्टी के सदस्यों और नेताओं का भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे देश सेवा करने के लिए प्लेटफॉर्म दिया.’
बता दें कि 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से नाराज चल रहे थे. माना जा रहा था कि पार्टी सिंधिया पर भरोसा कर उन्हें सीएम बनाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आखिर में कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी. इसी नाराजगी को कम करने के लिए उन्हें पार्टी ने प्रियंका गांधी के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया था. लेकिन वो 2019 लोकसभा चुनाव में भी उतने एक्टिव नहीं दिखे. यहां तक की 2019 लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सीट भी नहीं बचा सके.
अब मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सीट और प्रदेश अध्यक्ष पद की शर्तें न माने जाने के कारण सिंधिया ने ये बड़ा कदम उठाया है.
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