JMM के कार्यकारी प्रमुख और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) जेल में हैं. उनकी जगह अब उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन (Kalpana Soren) चुनावी संग्राम में पार्टी का मोर्चा संभालने के लिए खुलकर सामने आ चुकी हैं. वह राज्य की गांडेय विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में JMM की प्रत्याशी हो सकती हैं. हेमंत सोरेन को ED ने कथित भ्रष्टाचार के मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
कल्पना सोरेन की सियासत में लॉन्चिंग के लिए JMM नेतृत्व गांडेय को सेफ सीट मान रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि यहां उन्हें बीजेपी की तरफ की कड़ी चुनौती मिलेगी. कल्पना सोरेन के लिए यह लड़ाई कितनी चुनौतीपूर्ण है, यह पिछले चुनाव के वोटों के हिसाब-किताब और यहां के अब तक के इतिहास पर निगाह डालने से साफ हो जाता है.
गांडेय सीट का क्या है चुनावी इतिहास?
इस सीट पर 1977 से लेकर अब तक का चुनावी इतिहास यह है कि यहां पांच बार JMM , दो बार कांग्रेस, दो बार बीजेपी और एक बार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है. यह किसी एक पार्टी का अभेद्य किला नहीं है. इस सीट पर सबसे ज्यादा सफलता की दर बेशक JMM की है लेकिन बीजेपी ने भी हाल के वर्षों में यहां खासा दम दिखाया है और दो बार जीत का परचम भी लहराया है.
2019 के चुनाव में यहां JMM के प्रत्याशी डॉ. सरफराज अहमद ने 65 हजार 23 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी. दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी के जयप्रकाश वर्मा को 56 हजार 168 वोट मिले थे. इस प्रकार वह 8,855 वोटों से पिछड़ गए थे. तीसरे स्थान पर रहे AJSU ( ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन) पार्टी के प्रत्याशी अर्जुन बैठा को 15,361 वोट मिले थे. अब बीजेपी और AJSU पार्टी एक ही अलायंस का हिस्सा हैं. अगर इन दोनों के वोट जोड़ दें तो वह JMM प्रत्याशी को मिले वोट से करीब छह हजार ज्यादा है.
इस बार उप चुनाव में BJP ने दिलीप कुमार वर्मा को प्रत्याशी बनाया है. वह पिछली बार बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के प्रत्याशी थे और उन्हें 8,952 वोट मिले थे. अब बाबूलाल मरांडी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और जेवीएम का बीजेपी में विलय हो चुका है. जाहिर है, पिछले चुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार उतारने वाली बीजेपी, AJSU और जेवीएम, तीनों के वोट एक साथ इकट्ठा हो जाएं तो JMM (झारखंड मुक्ति मोर्चा) की कल्पना सोरेन के लिए राह आसान नहीं होगी.
हालांकि बीजेपी की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जाने पर AJSU ने नाराजगी जाहिर की है. AJSU के नेताओं का कहना है कि प्रत्याशी घोषित करने के पहले उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया गया. पिछले चुनाव में AJSU प्रत्याशी रहे अर्जुन बैठा भी चुनाव मैदान में उतरने पर अड़े हैं. लेकिन माना जा रहा है कि अंततः BJP का नेतृत्व AJSU को मना लेगा.
JMM 'गांडेय' को क्यों मान रही है सेफ सीट ?
दूसरी तरफ JMM के रणनीतिकारों को इस सीट पर मुस्लिम और आदिवासी की बड़ी आबादी के आधार पर बनने वाले मजबूत समीकरण पर भरोसा है. इस सीट से इस्तीफा देने वाले डॉ. सरफराज अहमद को JMM ने राज्यसभा भेज दिया है. इससे यह माना जा रहा है कि JMM प्रत्याशी कल्पना सोरेन को मुस्लिमों का भरपूर समर्थन मिलेगा. आदिवासियों को JMM पहले से अपना परंपरागत वोटर मानती है.
कुल मिलाकर, लड़ाई न तो एकतरफा है और न ही आसान. इस सीट पर जीत-हार से तय होगा कि राजनीति के मैदान में कल्पना सोरेन के पांव कितनी मजबूती से टिक पाएंगे.
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