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कमल हासन ने CAA पर बोला हमला, कहा- लोकतंत्र ICU में है  

कमल हासन ने आरोप लगाया कि अन्नाद्रमुक बीजेपी नीत केंद्र की धुन पर नाच रही है.

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अभिनेता-राजनेता कमल हासन ने देश भर में एनआरसी लागू करने के प्रस्ताव का मंगलवार को विरोध किया और नागरिकता कानून में किए गए एनडीए सरकार के हालिया संशोधन को समर्थन देने के लिए अन्नाद्रमुक पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी “अपने मास्टर की आज्ञाकारी” बन रही थी.

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'अन्नाद्रमुक केंद्र की धुन पर नाच रही है'

मक्कल नीधि मय्यम (एनएनएम) के प्रमुख हासन ने आरोप लगाया कि संसद में संशोधित बिल को दिया गया अन्नाद्रमुक का समर्थन तमिलों और राष्ट्र के साथ एक धोखा है. उन्होंने मीडिया से कहा, “वे अपने गुरु के आज्ञाकारी बन रहे थे, आपको पता है कि उनके गुरु कौन हैं.” हासन ने आरोप लगाया कि अन्नाद्रमुक बीजेपी नीत केंद्र की धुन पर नाच रही है. संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पार्टी सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी, इसकी घोषणा करने के एक दिन बाद उन्होंने कहा कि एमएनएम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ भी लड़ाई लड़ेगी.
सीएए पर एमएनएम की आगे की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर हासन ने कहा, “एनआरसी का मुद्दा है, जब इसे लागू किया जाएगा (राष्ट्रीय स्तर पर) हम इसके खिलाफ मैदान में उतरेंगे और जितनी दूर तक संभव होगा उतना लड़ेंगे.” उन्होंने कहा कि एमएनएम सीएए के खिलाफ कानूनी समाधान तलाशेगी.

छात्रों के प्रदर्शन को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि युवाओं को राजनीतिक रूप से जागरूक रहना चाहिए.

“ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये लोग जब युवा थे जो सत्ता में हैं, उन्होंने भी ठीक यही काम किया था. उन्होंने अपनी आवाज उठाई. युवाओं को राजनीतिक रूप से जागरूक होना होगा और नेता बनना होगा. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. आप इसे उत्तेजना बता रहे हैं, लेकिन राजनीति सबके जीवन को छूती है और ये सब पर असर डालती है. उन्हें ये समझना होगा, सवाल उठाने ही होंगे, राजनीति में दखल देना ही होगा, और जब इन सवालों का गला घोंट दिया जाएतो लोकतंत्र खतरे में है, आईसीयू में है.”  
-कमल हासन

गृह मंत्री अमित शाह के इस बयान पर कि सीएए मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है, इस पर उन्होंने एक तमिल कहावत का हवाला देकर समझाना चाहा कि मंत्री जिद पर अड़े हुए हैं और कारण नहीं देख रहे. हासन ने जानना चाहा कि यह अधिकार, “पाकिस्तानी हिंदू को क्यों दिया गया लेकिन श्रीलंकाई हिंदुओं को क्यों नहीं.”
द्वीप देश से आए तमिल शरणार्थियों की हालत पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने पूछा कि देश के पास इन लोगों के लिए क्या जवाब है जिन्होंने हर समय तमिलनाडु पर भरोसा किया.

(इनपुट - भाषा)

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