कर्नाटक विधानसभा में 22 जुलाई को फ्लोर टेस्ट के जरिए कांग्रेस-जेडीएस सरकार की किस्मत का फैसला हो सकता है. इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बागी विधायकों से वापस लौटने और सदन में चर्चा के दौरान बीजेपी को ‘‘बेनकाब’’ करने की अपील की है. हालांकि बागी विधायकों ने सत्र में हिस्सा लेने की संभावना खारिज कर दी है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने भरोसा जताया है कि 22 जुलाई को कुमारस्वामी सरकार का आखिरी दिन होगा. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री केवल वक्त हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि गठबंधन के विधायकों के इस्तीफों के बाद कुमारस्वामी सरकार बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल वजुभाई द्वारा दी गईं 3 समयसीमाओं को पार कर चुकी है.
कर्नाटक में पिछले दिनों कांग्रेस-जेडीएस के 16 विधायकों ने इस्तीफे दिए थे. इस बीच संकट से घिरी गठबंधन सरकार को थोड़ी राहत देते हुए कांग्रेस विधायक रामलिंगा रेड्डी ने 17 जुलाई को कहा कि उन्होंने विधानसभा से अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला किया है और वह मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा रखे जाने वाले विश्वासमत के समर्थन में मतदान करेंगे. इसके अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन को थोड़ी राहत तब मिली, जब 21 जुलाई को बीएसपी चीफ मायावती ने कर्नाटक में अपने इकलौते विधायक को कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट करने का निर्देश दिया.
फ्लोर टेस्ट में बन सकती है यह स्थिति
225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास (15 बागी विधायकों को मिलाकर) 117 विधायक हैं. इनमें कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37, बीएसपी का एक और एक मनोनीत विधायक शामिल है. इनसे अलग विधानसभा अध्यक्ष का भी एक वोट है.
जेडीएस-कांग्रेस के 15 बागी विधायकों के फ्लोर टेस्ट से दूर रहने पर (स्पीकर को हटाकर) सदन का संख्याबल 209 हो जाएगा और बहुमत का आंकड़ा 105 हो जाएगा. वहीं 15 विधायकों की कमी से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास 102 विधायकों का समर्थन ही बचेगा.
ऐसे में बीजेपी के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो सकता है. दरअसल बीजेपी के पास फिलहाल 105 खुद के विधायक हैं, जबकि उसे 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है.
कांग्रेस-जेडीएस सरकार से समर्थन वापस लेने वाले 2 निर्दलीय विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराए जाने की मांग करने का फैसला किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि निर्दलीय विधायकों- आर शंकर और एच नागेश ने अपनी अर्जी में एचडी कुमारस्वामी सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह 22 जुलाई को शाम पांच बजे या उसके पहले शक्ति परीक्षण करे.
फ्लोर टेस्ट को लेकर सीएम कुमारस्वामी ने 21 जुलाई को कहा, ‘‘विश्वासमत पर चर्चा के लिए समय लेने का मेरा इरादा केवल यह है कि पूरा देश जान सके कि नैतिकता की बात करने वाली बीजेपी लोकतंत्र के साथ ही संविधान के सिद्धांतों को पलटना चाहती है.’’
कुमारस्वामी ने बागी विधायकों से भी बातचीत की पेशकश की ताकि उनके मुद्दों का समाधान किया जा सके. हालांकि मुंबई के होटल में रुके बागी विधायकों ने जोर देकर कहा कि वे वापस नहीं लौटेंगे. उन्होंने इस आरोप को भी खारिज कर दिया है कि उन्हें बंधक बनाया गया है.
जेडीएस के बागी विधायक के गोपालैयाह ने 10 दूसरे विधायकों के साथ एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘हमने सोचा था कि यह सरकार राज्य के लिए अच्छा काम करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 22 जुलाई को विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने का कोई सवाल ही नहीं है.’’
‘कांग्रेस को CM पद देने के लिए तैयार जेडीएस’
कर्नाटक सरकार में वरिष्ठ मंत्री और कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार ने दावा किया कि कुमारस्वामी ने कांग्रेस से कहा है कि वह गठबंधन को बचाने के लिए अपनी पसंद के किसी भी नेता को मुख्यमंत्री नामित कर सकती है.
हालांकि जेडीएस की ओर से इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई कि उसने ऐसा कोई प्रस्ताव दिया है. दरअसल पहले ऐसी खबरें आई थीं कि कुमारस्वामी के ऐसे सुझाव को उनके पिता और जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा ने खारिज कर दिया था.
जेडीएस और कांग्रेस ने भी किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
जेडीएस और कांग्रेस ने 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का रूख कर आरोप लगाया कि राज्यपाल ने उस वक्त विधानसभा की कार्यवाही में हस्तक्षेप किया, जब विश्वास मत पर चर्चा चल रही थी. इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें कहा गया था कि बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में आने के लिए बाध्य नहीं हैं.
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