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कर्नाटक चुनावः पीएम मोदी की 21 रैलियों के पीछे ये है BJP का प्लान

कर्नाटक में पीएम मोदी, चार रैलियां कर मांगेंगे  जनसमर्थन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक में हैं. यहां वह विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. बीजेपी ने एक और राज्य में कमल खिलाने के लिए विशेष प्लान तैयार किया है. इसी प्लान के तहत पीएम मोदी राज्य में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं.

पीएम मोदी कर्नाटक में करीब हफ्ते भर के अंदर दर्जनभर से ज्यादा चुनावी रैलियां कर चुके हैं. शनिवार को पीएम मोदी चार चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे.

कर्नाटक में पीएम मोदी, चार रैलियां कर मांगेंगे  जनसमर्थन
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पीएम की 21 रैलियों के पीछे ये है बीजेपी का प्लान

साल 2014 में आई मोदी लहर ने बीजेपी को भारी बहुमत से जीत दिलाई थी. बाद में इसी लहर पर सवार होकर बीजेपी एक के बाद एक राज्यों में कमल खिलाती चली गई. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में पार्टी की जीत के पीछे भी बीजेपी मोदी लहर को ही मानती है. अब बीजेपी एक बार फिर मोदी लहर पर सवार होकर कर्नाटक की वैतरिणी पार करना चाहती है. यही वजह है कि राज्य में 'मोदी लहर' बनाने के लिए बीजेपी ने पीएम मोदी की रैलियों की संख्या बढ़ाकर 21 कर दी है.

शुरुआत में पीएम मोदी की राज्य में कुल 12 रैलियां प्रस्तावित थीं. बाद में जैसे-जैसे पीएम की रैलियों में भीड़ बढ़ती रही. वैसे ही पार्टी ने रैलियों की संख्या भी बढ़ा दी. पहले यह संख्या 12 से 15 हुई, फिर 18 और अब 21.

बीजेपी पीएम मोदी की रैलियों के जरिए ज्यादा से ज्यादा कर्नाटक के हिस्सों को कवर करना चाहती है. यही वजह है कि पार्टी ने अपने प्लान में पीएम मोदी की 21 रैलियां शामिल की हैं.

पीएम मोदी से बीजेपी को बड़ी उम्मीद

पीएम मोदी फिलहाल एक दिन छोड़कर कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं. लेकिन वोटिंग का दिन जैसे-जैसे करीब आएगा, उनकी रैलियों लगातार होंगी. पीएम मोदी की रैलियों में अच्छी खासी भीड़ देखी जा रही है. ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि रैलियों में उमड़ रहा जनसैलाब वोट में बदलेगा.

पीएम कर्नाटक में फतह के लिए सिर्फ रैलियां ही नहीं कर रहे हैं. जिस दिन वे कर्नाटक नहीं जा पा रहे हैं उस दिन वे नमो ऐप के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे हैं. पीएम नमो ऐप के जरिए अब तक किसानों, कारोबारियों और महिलाओं से रूबरू हो चुके हैं. पीएम मोदी के इन प्रयोगों से कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ रहा है.

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कौन बनेगा कर्नाटक का किंग?

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए 12 मई को वोटिंग होगी और 15 मई को नतीजे आएंगे. कर्नाटक की कुल 224 सीटों पर चुनाव होंगे. सरकार बनाने के लिए 123 सीटों की जरूरत होगी.

मुख्य तौर पर कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस चुनाव मैदान में है. 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 122 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी. बीजेपी और जेडीएस को 40-40 सीटें मिली थीं. कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुआई में मैदान पर है, जबकि बीजेपी बीएस येदुयुरप्पा की अगुवाई में इलेक्शन में उतरी है.

येदुयुरप्पा इसके पहले दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन 2011 में उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफादेना पड़ा था.

निर्णायक है लिंगायत वोट

राज्य की आबादी का 72 फीसदी यानी 4 करोड़ 96 लाख वोटर हैं. लेकिन लिंगायत समुदाय का दबदबा है. इसलिए दोनों पार्टियां उन्हें अपनी तरफ खींचने में लगी हैं. राज्य में इनकी आबादी करीब 17 फीसदी है और राज्य की करीब 100 सीटों पर सीधा असर डालते हैं. मौजूदा विधानसभा में 52 विधायक लिंगायत हैं.

लिंगायत को कर्नाटक में बीजेपी का पारंपरिक वोट माना जाता है. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से हैं. लेकिन कांग्रेस ने इस समुदाय को अपनी ओर खींचने के इरादे से इन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है.

राज्य में लिंगायतों के अलावा दलित काफी अहम भूमिका में रहते हैं. राज्य में दलित समुदाय की आबादी करीब 19 फीसदी है, वहीं मुस्लिम 16 फीसदी, ओबीसी 16 फीसदी और कुरुबास 7 फीसदी के करीब है.

बीजेपी और कांग्रेस के बीच है असली मुकाबला

राज्य के कोस्टल एरिया में बीजेपी का प्रभुत्व रहा है, वहीं उत्तरी कन्नड़, दक्षिणी कन्नड़, उडूप्पी और चिकमंगलूर जैसे इलाकों में कांग्रेस का दबदबा रहा है. उत्तरी और दक्षिणी कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलता रहा है.

40 सालों में कर्नाटक और दिल्ली की गद्दी एक साथ किसी को नहीं मिली है. एक मिलती है, तो दूसरी फिसल जाती है. 1978 से अब तक 40 साल में सिर्फ एक बार यानी 2013 में ऐसा हुआ है, जब कर्नाटक में वही पार्टी जीती, जिसकी केंद्र में सरकार (कांग्रेस) थी. लेकिन कर्नाटक जीतने के सालभर के बाद ही हाथ से केंद्र की सत्ता निकल गई.

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