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मनोज तिवारी ने तोड़ा सीलिंग प्रॉपर्टी का ताला, केजरीवाल ने लताड़ा

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के एक सील्ड संपत्ति का ताला तोड़ने पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कड़ी आलोचना की है.

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दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के एक सील्ड संपत्ति का ताला तोड़ने पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कड़ी आलोचना की है. रविवार को मनोज तिवारी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र दिल्ली के गोकुलपुर इलाके में एक सील्ड प्रॉपर्टी का ताला तोड़ दिया था, जिसके बाद केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया है. केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा, "वे सुबह खुद प्रॉपर्टी को सील करते हैं और शाम को ताला तोड़ देते हैं. क्या वो जनता को मूर्ख समझते हैं?"

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केजरीवाल ने दिल्ली को बर्बाद करने का आरोप लगाया

केजरीवाल ने नोटबंदी, जीएसटी और सीलिंग अभियान के जरिए दिल्ली को बर्बाद करने का भी आरोप बीजेपी पर लगाया. दरअसल, रेजीडेंशियल प्रॉपर्टी का कॉमर्शियल इस्तेमाल रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक समिति बनाई गई है, जो सीलिंग अभियान चला रही है. इसे दिल्ली में बीजेपी के नेतृत्व वाले तीन नगर निगमों लागू कर रहे हैं. आरोप ये लग रहे हैं कि केंद्र और एमसीडी में होने के बावजूद भी बीजेपी दुकानदारों की सील दुकानों के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं.

क्यों हो रही है सीलिंग?

साल 2006 में शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में दिल्ली में सीलिंग शुरू हुई थी. मास्टर प्लान-2021 को देखते हुए रिहायशी इलाकों में कमर्शियल दुकानों पर रोक का प्रावधान है. दिल्ली के कई इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतों के बाद 2005 में हाईकोर्ट ने एक्शन लेने के आदेश दिए थे. लेकिन एमसीडी के रवैये के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अवैध निर्माण की सीलिंग करने के आदेश जारी किए.

कोर्ट के आदेश के बाद 2006 में कई इलाकों में सीलिंग की गई. सीलिंग के दौरान पुलिस और दुकानदारों में झड़प भी हुई. जिसमें 4 लोगों की मौत भी हो गई थी. मामला तब बढ़ा जब सरकार ने 2006 में दुकानों या कमर्शियल प्रॉपर्टी को सीलिंग से बचाने के लिए कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान किया और कोर्ट ने कुछ वक्त के लिए सीलिंग रोक दी.

लेकिन मामला फिर उठा. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी दुकानों या प्रॉपर्टी को सील करने का आदेश दिया और इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया. अब मॉनिटरिंग कमेटी की देखरेख में ऐसी दुकानों को सील किया जा रहा है, जिन्होंने कंवर्जन चार्ज जमा नहीं कराया है.

(इनपुट: IANS)

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