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केरल पुलिस एक्ट में संशोधन पर विपक्ष ने उठाए सवाल, CM ने किया बचाव

केरल पुलिस एक्ट को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किया गया बयान 

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केरल पुलिस अधिनियम में संशोधन को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. जहां विपक्ष ने इस संशोधन से अभिव्यक्ति की आजादी में कटौती की आशंका जताई है, वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसके बचाव में बयान जारी किया है.

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NDTV के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ''केरल पुलिस अधिनियम में किए गए नए संशोधन का इस्तेमाल किसी भी तरह से फ्री स्पीच या निष्पक्ष पत्रकारिता के खिलाफ नहीं किया जाएगा.''

इसके अलावा बयान में कहा गया है, ‘’प्रेस की आजादी सुनिश्चित करने के साथ-साथ, सरकार की यह भी जिम्मेदारी है कि वो नागरिक की निजी आजादी और उसकी गरिमा को बनाए रखे, जैसा कि संविधान में निहित है. लोकप्रिय विचार है कि किसी की आजादी वहां खत्म होती है, जहां से दूसरे की नाक को सम्मान की जरूरत होती है. हालांकि, इस विचार के बार-बार उल्लंघन किए जाने के भी उदाहरण हैं.’’

"परिवारों के शांतिपूर्ण माहौल को अस्थिर करने के लिए...व्यक्तिगत पसंद, या नापसंद, राजनीतिक या गैर-राजनीतिक हितों के इस्तेमाल..." का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा कि इस तरह के हमले पत्रकारिता की कैटेगरी में नहीं आते.

अध्यादेश को मिली राज्यपाल की मंजूरी

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य सरकार की ओर से लाए गए केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है.

बता दें कि पिछले महीने राज्य मंत्रिमंडल ने धारा 118 ए को शामिल करने की सिफारिश करके पुलिस अधिनियम को और सशक्त बनाने का फैसला किया था.

इस संशोधन के मुताबिक, जो कोई भी सोशल मीडिया के जरिए किसी पर धौंस दिखाने, अपमानित करने या बदनाम करने के इरादे से कोई सामग्री डालता है या प्रकाशित/प्रसारित करता है उसे पांच साल तक कैद या 10000 रुपये तक के जुर्माने या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
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विपक्ष ने उठाए सवाल

केरल बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने इस संशोधन को लेकर कहा है कि केरल सरकार का यह कदम लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी को बाधित करने की कोशिश है. उन्होंने कहा, ''जब सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में इस तरह के कानून के खिलाफ एक स्टैंड लिया था, तो मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उसकी तारीफ की थी और उसे एक राजनीतिक अभियान बना दिया था. वही पिनराई इस कठोर अधिनियम को लाकर सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं.''

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इस संशोधन को लेकर हैरानी जताई है. उन्होंने रविवार को ट्वीट कर कहा, ''सोशल मीडिया पर तथाकथित 'अपमानजनक' पोस्ट के लिए 5 साल तक की जेल की सजा को लेकर केरल की एलडीएफ सरकार द्वारा बनाए गए कानून से हैरान हूं.''

इसके अलावा कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, ''इस कानून को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि किसी पार्टी या "व्यक्तियों के वर्ग" (जैसे "संघी" या "लिबटार्ड") के खिलाफ सोशल मीडिया पर कोई भी राजनीतिक हमला इसके प्रावधानों के तहत आ सकता है.''

उन्होंने आगे कहा, ''केवल दुर्व्यवहार और धमकियों के प्रमुख मामलों तक ही इसकी उपयोगिता सीमित करने के लिए इसमें बदलाव होना चाहिए.''

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