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बिहार में महागठबंधन क्‍यों टूटा, इस पर दी जा रही ये 3 थ्‍योरी

लालू प्रसाद या नीतीश कुमार, किसने किससे की बेवफाई? बिहार में महागठबंधन औंधे मुंह गिर पड़ा, इसकी ठोस वजहों की पड़ताल.

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बिहार में महागठबंधन टूट गया. इस बिखराव को सही ठहराने के लिए अलग-अलग तरह की थ्योरी दी जा रही है.

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की जोड़ी सिर्फ 20 महीने में ही टूट जाने से लोग हैरान हैं. अभी लालू इसे महागठबंधन की भ्रूण हत्‍या करार दे रहे हैं. नीतीश लालू पर पलटवार कर रहे हैं. इस बदलाव के पीछे कई थ्योरी दी जा रही है, जिनमें कई तो ऐसे अटपटे हैं कि बिहार की राजनीति को जानने वाले उसे तत्काल खारिज कर दें. लेकिन खबरों का बाजार फिर भी गर्म है.

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इसके पीछे जो 3 बड़ी थ्‍योरी सामने आ रही है, वो इस तरह है:

1. केंद्रीय मंत्रियों से लालू की मुलाकात की खबर

कुछ ही दिनों पहले मीडिया में ऐसी खबर आई थी कि अपने और अपने परिवार पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसने से परेशान लालू प्रसाद ने दो केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी. अपुष्‍ट खबर के मुताबिक, लालू ने केंद्रीय मंत्रियों के सामने 'परस्‍पर हित' वाला एक प्रस्‍ताव रखा था.

लालू की शर्त यह थी कि अगर केंद्रीय मंत्री प्रभाव का इस्‍तेमाल कर अपने खिलाफ चल रहे केसों को कमजोर कर दें, तो वे बीजेपी के मन-मुताबिक प्रदेश की नीतीश सरकार को गिरा सकते हैं.

लालू के इस प्रस्‍ताव की बात बीजेपी ने सीधे सीएम नीतीश कुमार तक पहुंचा दी. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि नीतीश ने खुद अपने स्‍तर से लालू की उस मुलाकात की सच्‍चाई के बारे में पता किया. नीतीश ने जब बात सच पाई, तो उन्‍होंने लालू से दूरी बनाने का मन बना लिया.

इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो लालू ही बता सकते हैं. लेकिन लालू की राजनीति को जानने वाले इस थ्योरी को आसानी से पचा नहीं पाएंगे.

2. लालू के खेमे में नीतीश के मुखबिर!

प्रदेश के दो सियासी दिग्‍गजों के बीच दोस्‍ती टूटने की ये थ्‍योरी दिलचस्‍प है. इसके मुताबिक, लालू प्रसाद की आरजेडी में कुछ ऐसे विधायक थे, जो अंदर की गोपनीय खबरों को सीधे सीएम नीतीश तक पहुंचाते थे. ऐसी गोपनीय खबरों में लालू की प्रॉपर्टी और केस-मुकदमों से जुड़ी जानकारी हुआ करती थी.

ये थ्‍योरी कहां तक सच है या झूठ, इस बारे में किसी नतीजे तक पहुंचे बिना लालू प्रसाद के हालिया आरोपों पर गौर करते हैं. पुरानी सरकार गिरने के बाद लालू ने खुद मीडिया के सामने ये आरोप लगाया कि नीतीश ही केस-मुकदमे में उन्‍हें फंसा रहे थे और उनकी पीठ में छुरा घोंप रहे थे.

सच्चाई क्या है, यह तो लालू या नीतीश ही बता पाएंगे. लेकिन एक बात साफ है. महागठबंधन बनने के बाद भी दोनों नेताओं के दिल शायद कभी नहीं मिले.
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3. विकास के लिए लालू से पिंड छुड़ना जरूरी था

इस थ्‍योरी के मुताबिक, सीएम बनने के बाद से ही नीतीश सरकार चलाने में परेशानी महसूस कर रहे थे. नीतीश विकास के काम पर फोकस करना चाहते थे, जबकि आरजेडी सहयोग करने की बजाए उनके काम में गैरजरूरी दखल देती थी. नीतीश कैंप का यही आरोप है. आरजेडी के कुछ मंत्री तो सीधे पुलिस-प्रशासन को निर्देश दे रहे थे.

लालू के छोटे बेटे तेजस्‍वी यादव डिप्‍टी सीएम थे, जबकि बड़े बेटे तेज प्रताप यादव स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री थे. इन दोनों के पास दो बड़े मंत्रालय होने के साथ-साथ करीब 8 मंत्रालय थे. इन दोनों के केस-मुकदमों में घिरने के बाद नीतीश के लिए इनसे छुटकारा पाना जरूरी हो चला था. ऐसा नीतीश कैंप का कहना है.

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बाहुबली शहाबुद्दीन के साथ लालू प्रसाद की करीब की खबरों की वजह से नीतीश सरकार की इमेज खराब हो रही थी. नीतीश की कोशिशों से जंगलराज पार्ट-2 की वापसी तो नहीं हो सकी, लेकिन साफ-सुथरी सरकार का उनका वादा खटाई में पड़ता दिख रहा था.

इन बातों में क्या सच है, क्या झूठ, पता नहीं. लेकिन एक बात साफ है कि बेमेल गठबंधन के टूटने के ग्राउंड को सही ठहराने की कोशिश जोर-शोर से होती दिख रही है.

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