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शिवराज के मंत्रियों पर भड़का वोटरों का गुस्सा, पूछा कहां है विकास?

15 साल में पहली बार शिवराज मुश्किल में

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शिवराज चौहान के साथ 15 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब उनके मंत्रियों पर लोग भड़के हुए हैं. विकास का दावा करते ही वोटर्स उनसे हिसाब मांगने लगते हैं.

मुख्यमंत्री का दावा है कि मध्यप्रदेश में उन्हें 15 साल में हुए विकास के नाम पर वोट मिलेंगे. लेकिन जिस विकास के नाम पर बीजेपी मंत्री वोट मांगने निकले हैं, जरा उसकी दुर्गति देखिए.

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‘कहां है विकास? जवाब नहीं किसी के पास’

  • विकास की राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर बुधनी सीट में मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह और पुत्र कार्तिकेय सिंह को वोटरों ने खरी-खरी सुनाई
  • भोपाल से 170 किलोमीटर दूर हाटपिपलिया में शिक्षा मंत्री दीपक जोशी को घेर कर लोगों ने विकास की खोज खबर पूछी, जोशी सिर झुकाए सुनते रहे
  • भोपाल से 337 किलोमीटर दूर जबलपुर उत्तर सीट में तो स्वास्थ्य मंत्री शरद जैन के खिलाफ बीजेपी के ही बड़े नेता धीरज पटेरिया के साथ बहुत से बीजेपी कार्यकर्ता बागी हो गए हैं और मंत्री जी से पूछ रहे हैं कहां गया विकास
  • भोपाल की ही दक्षिण पश्चिम सीट पर गृहमंत्री उमाशंकर दीक्षित के भी वोटरों की नाराजगी वाले वीडियो वायरल हो रहे हैं.
ये तो सिर्फ कुछ नमूने हैं जो शिवराज चौहान की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं. उनकी पत्नी, बेटे और मंत्रियों के खिलाफ वोटरों के गुस्से का मतलब यही है कि विकास का दावा चिपक नहीं पा रहा है.

मुख्यमंत्री की सीट बुधनी में गुस्सा क्यों?

शिवराज चौहान लगातार 12 साल से यहां से विधायक हैं. वो बुधनी को विकास का मॉडल बताते हैं. लेकिन जब सीएम की पत्नी साधना सिंह अपने पति के लिए वोट मांगने पहुंचीं तो उन्होंने वोटरों का ऐसा रूप देखा जिसकी कल्पना भी उनको नहीं रही होगी.

बुधनी सीट के रेहटी गांव में महिलाओं ने गुस्से में कहा पांच साल से पानी नहीं है..प्यासे मर रहे हैं. अभी तक तो विकास नहीं हुआ.. अब क्या हो जाएगा. इसके वीडियो भी वायरल हुए हैं जिसमें साधना सिंह समझाने की कोशिश कर रही हैं हमने कितने काम किए हैं.. ये बताओ. पर महिलाएं सुनने को तैयार नहीं हैं.

बुधनी ही सीट के एक दूसरे गांव में शिवराज के बेटे कार्तिकेय को भी इसी तरह के मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ा.

चौहान कह चुके हैं कि उन्हें अपनी जीत पर इतना भरोसा है कि प्रचार के लिए अब दोबारा बुधनी नहीं जाएंगे. लेकिन उनके खिलाफ उतरे राज्य कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव का आरोप है कि बुधनी में विकास के नाम पर सिर्फ धोखा हुआ है और इस बार लोग मुख्यमंत्री को सबक सिखाएंगे.

लेकिन वोटरों का गुस्सा सिर्फ मुख्यमंत्री को नहीं बल्कि उनकी सरकार के कई मंत्रियों को भी झेलना पड़ रहा है. कई जगह तो वोटरों का गुस्सा और बागियों का कॉम्बिनेशन बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बनता दिख  रहा है. . इनमें कई बीजेपी के गढ़ हैं और पार्टी ने मंत्रियों को उम्मीदवार बनाया है.

जबलपुर उत्तर ( उम्मीदवार स्वास्थ्य मंत्री शरद जैन)

यह सीट बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है. यहां बीजेपी के शरद जैन लगातार 15 साल से विधायक हैं और स्वास्थ्य मंत्री भी हैं. लेकिन उनके खिलाफ प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता धीरज पटेरिया मैदान में उतर गए हैं. पटेरिया मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं. उनका दावा है कि शरद जैन का विकास का दावा खोखला है और इस बार वो इसी मुद्दे पर बुरी तरह हारेंगे.

शरद जैन के खिलाफ उतरे BJYM के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया

शरद जैन से लोगों की नाराजगी इस बात पर भी है कि स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद वो जबलपुर में लंगड़ा बुखार (चिकनगुनिया), डेंगू और मलेरिया के प्रकोप को फैलने से रोकने में विफल रहे.

इसलिए वोटर्स उनसे शहर में फैली बीमारियों से निपटने का हिसाब मांग रहे हैं. उनकी मुश्किलें बीजेपी के बागी धीरज पटेरिया ने बढ़ा दी हैं जो 32 सालों से बीजेपी में थे और संगठन का होने के नाते बीजेपी कार्यकर्ताओं का भी समर्थन उन्हें मिल गया है.

पटेरिया के मुताबिक बीजेपी कार्यकर्ताओं के दबाव और शरद जैन की नाकामी की वजह से उन्हें चुनाव मैदान में उतरना पड़ा. उनका दावा है कि विधानसभा के ज्यादातर बीजेपी कार्यकर्ताओं उनके साथ हैं.
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भोपाल दक्षिण पश्चिम (उम्मीदवार गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता)

जबलपुर की तरह राजधानी भोपाल को भी बीजेपी का मजबूत किला माना जाता है. लेकिन यहां की दक्षिण पश्चिम सीट से उम्मीदवार गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता को वोटर्स का गुस्सा झेलना पड़ा. वजह वही विकास नहीं होना.

हाटपिपलिया (उम्मीदवार शिक्षा मंत्री दीपक जोशी)

पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी भी वोटर्स के गुस्से का शिकार हो गए. जिस हाटपिपलिया सीट को वो सुरक्षित समझ रहे थे वहीं के वोटर्स ने पानी की टंकी चालू ना होने और खस्ताहाल सड़कों पर उनसे सवाल पूछ डाले.

राज्य सरकार के मंत्री ही नहीं केंद्र सरकार के मंत्रियों की रैलियों में भी भीड़ की कमी बताती है कि बीजेपी के लिए हालात इस बार के विधानसभा चुनाव काफी मुश्किल हैं. जबलपुर में हाल में कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी की सभा में ज्यादातर कुर्सियां खालीं ही रह गईं. इसी के अगले दिन बड़वानी में बीजेपी की अध्यक्ष अमित शाह की रैली में आधा पंडाल नहीं भर पाया.

मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए ये बातें काफी अनोखी हैं. 15 सालों में पहली बार उसे लोगों की ऐसी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दावा कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश में राम मंदिर नहीं सिर्फ और सिर्फ विकास ही मुद्दा है. जबकि जमीन हकीकत यही है कि लोग विकास नहीं होने से गुस्से में हैं और चुनाव सवाल पूछने का सही मौका मिल गया है.

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