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कांग्रेस ने हिंदुत्व का तड़का लगाकर शिवराज का टेंशन बढ़ाया

हिंदुत्व की वजह से बीजेपी को टक्कर देने की हालत में कांग्रेस

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मध्यप्रदेश में 15 साल से काबिज बीजेपी सरकार को हराने के लिए कांग्रेस ने हिंदुत्व के तड़के वाला जो फॉर्मूला तैयार किया है उसने ‘शिवराज चौहान की परेशानी बढ़ा दी है. बीजेपी और आरएसएस की हिंदुत्व की चाशनी की काट के लिए कांग्रेस ने जो पैकेज तैयार किया है उसमें हिदुत्व भी भरपूर है और आरएसएस का घनघोर विरोध भी.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के घोषणापत्र का कॉम्बिनेशन बड़ा रोचक है. इसमें राम हैं, गाय और किसान भी है लेकिन आरएसएस की शाखा में जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए दंड भी है. मतलब वचनपत्र में सबके लिए कुछ ना कुछ है.

मध्यप्रदेश में तमाम चुनावी सर्वे में कांग्रेस और बीजेपी में बराबर की टक्कर को कांग्रेस नेता सॉफ्ट हिंदुत्व का प्रताप मान रहे हैं.

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कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ लौटने से बीजेपी की बैचेनी और परेशानी कोई रॉकेट साइंस नहीं है. अभी तक उसके लिए कांग्रेस पर अल्पसंख्यक समर्थक पार्टी का ठप्पा लगाना आसान था. लेकिन राहुल गांधी और दूसरे नेताओं के खुलकर मंदिरों में जाने से इस लेबल को चस्पा करने में दिक्कत हो रही है.

सरकारी कर्मचारियों के लिए शाखा बैन करने का प्रस्ताव क्यों?

प्राइवेट में कांग्रेस नेता मानते हैं कि पार्टी के वचनपत्र में संघ की शाखा में सरकारी कर्मचारियों पर पाबंदी का मुद्दा ना लाया जाता तो बेहतर होता. उन्हें लगता है कि इसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का अदृश्य हाथ है. इसकी वजह है कि साल 2000 में जब वो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने ही आदेश दिया था कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी शाखा में जाएगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि 2003 साल में दिग्विजय की हार तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई.

इसके बाद शिवराज चौहान जब 2006 में मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने दिग्विजय सरकार की तरफ से लगाई गई पाबंदी हटा ली.

सॉफ्ट हिंदुत्व के चक्कर में दूसरे नाराज न हों’

कांग्रेस ने सावधानी भी रखी कि सॉफ्ट हिंदुत्व के चक्कर में इतने सालों से साथ पार्टी के कोर समर्थक नाराज हों. इसका काट निकाला गया है कि मंदिर जाएंगे, राम गमन मार्ग बनवाएंगे, गौशाला के लिए भी सरकारी पैसा देंगे लेकिन संघ का कसकर विरोध करेंगे ताकि ये धारणा तोड़ी जा सके कि सिर्फ बीजेपी या संघ ही हिंदुत्व के समर्थक हैं.

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक उन्हें अंदाज था कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही बीजेपी और संघ ने अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा गरमाना शुरू हो जाएगा. इसलिए कांग्रेस ने पहले ही मध्यप्रदेश में श्रीराम गमन पथ सर्किट बनाने का ऐलान कर दिया था.

हिंदुत्व विरोधी बिल्ला हटाने की कोशिश

गुजरात के बाद मध्यप्रदेश को आरएसएस के हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है. तीन बार से मध्यप्रदेश की सत्ता से बाहर कांग्रेस ने जान लिया है कि एमपी से बीजेपी को हराने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व के बिना गुजारा नहीं है.

अब कांग्रेस लगातार कई सालों से अपने दफ्तर में गणपति की स्थापना कर रही है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में विशाल हनुमान मूर्ति के साथ मंदिर बनाया है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के मुताबिक कांग्रेस ने जब खुलकर हिंदू तीज त्यौहारों में जाना किया तो पहले तो पार्टी के अंदर इस पर ऐतराज उठे पर इसका असर अब दिखने लगा है.

कांग्रेस नेताओं को खुलकर मंदिर जाने से ऐतराज नहीं

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद को शिवभक्त कहते हैं. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ हनुमान भक्त हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 6 महीने नर्मदा की परिक्रमा करके खुद को नर्मदा भक्त के तौर पर स्थापित कर लिया है. कांग्रेस प्रचार कमेटी के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मंदिरों में जाकर माथा टेकने से कोई परहेज नहीं है.

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आरएसएस मुद्दे को गरमाने की कोशिश में बीजेपी

दरअसल मध्यप्रदेश में बीजेपी और संघ के लोगों में टिकट डिस्ट्रिब्यूशन से काफी नाराजगी है. अब संघ और बीजेपी के बागियों का गुस्सा कांग्रेस की तरफ मोड़ने के लिए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे राम मंदिर से जोड़ते हुए कह दिया कांग्रेस का नारा है मंदिर नहीं बनने देंगे. शाखा नहीं चलने देंगे. बीजेपी का दावा है कि दरअसल कांग्रेस आरएसएस पर पाबंदी लगाने की तैयारी कर रही है.

लेकिन कमलनाथ के मुताबिक बीजेपी गलत बयानी कर रही है आरएसएस पर पाबंदी लगाने की बात तो कांग्रेस ने कही ही नहीं. लेकिन शाखा में सरकारी कर्माचरियों के जाने पर बैन इसलिए लगना चाहिए क्योंकि वो किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हो सकते.

कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी आरएसएस के जो लोग नाराज हैं उन पर संघ पर पाबंदी का डर दिखाकर चुनाव अभियान में शामिल करना चाहती है.

वैसे तो पिछले चुनावों में कांग्रेस की सेल्फ गोल करने की बीमारी रही है. अभी तो चुनाव प्रचार शुरू ही हुआ है. बीजेपी दिशा भावनात्मक मुद्दों की तरफ ले जाना चाहेगी जबकि कांग्रेस की स्ट्रैटेजी यही है कि बीजेपी को उसकी पिच पर खेलने का मौका नहीं दिया जाए.

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