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महाराष्ट्र कांग्रेस में RSS के पुराने लोगों को अहम पद, पार्टी में नाराजगी की आहट

कार्यकारिणी में पहली बार 2 ट्रांसजेंडर को जगह, लेकिन महिलाएं मात्र 9 फीसदी

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अभय पाटिल कई मौकों पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा कर चुके हैं. RSS से संबंध रहा है. 2019 के लोक सभा चुनावों में टिकट के लिए इनके नाम की चर्चा थी.

अजीत आप्टे का इतिहास भी आरएसएस से जुड़ा रहा है. अजीत आप्टे बीजेपी नेता और पुणे से मेयर मुक्ता तिलक से करीबी बताए जाते हैं.

इन दोनों को अब महाराष्ट्र कांग्रेस में महासचिव बनाया गया है. 26 अगस्त को गठित महाराष्ट्र कांग्रेस कार्यकारिणी में कई और ऐसे नाम शामिल किए गए हैं जिनके कारण पार्टी में नाराजगी देखने को मिल रही है.

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कार्यकारिणी में भाई भतीजावाद का आरोप

जे जे थॉमसन को महासचिव का पद दिए जाने के पीछे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के सी वेणुगोपाल से अच्छे संबंधों को जोड़कर देखा जा रहा है. इसके अलावा कई मंत्रियों के पर्सनल असिस्टेंट ( PA) और संबंधियों को भी कार्यकारिणी में स्थान दिया गया है.

आरोप है कि राज्य के प्रमुख नेताओं के सुझाए नामों को नजरअंदाज किया गया है. इन आरोपों के बाद आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. लिहाजा महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले की चिंता बढ़ गई है और उन्होंने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मुलाकात की है.

नई कार्यकारिणी में किस क्षेत्र को कितना प्रतिनिधित्व

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने अपनी तरफ से तो सामंजस्य बैठाने की पूरी कोशिश की लेकिन उनकी इस कोशिश के बावजूद नेताओं में नाराजगी है. नाना पटोले अगला विधानसभा चुनाव कांग्रेस को अकेले लड़वाने के पक्ष में हैं और उनकी यही सोच कार्यकारिणी के विस्तार में भी दिखती है.

नई कार्यकारिणी में पश्चिम महाराष्ट्र से 34, मराठवाड़ा से 31, नागपुर विभाग से 33, अमरावती विभाग से 29, कोकण से 25, उत्तर महाराष्ट्र से 20 व मुंबई से 18 पदाधिकारी बनाए गए हैं। इसके अलावा इसमें 18 उपाध्यक्ष, 65 महासचिव, 104 सचिव और छह प्रवक्ता शामिल किए गए हैं.

पहली बार 2 ट्रांसजेंडर भी शामिल, लेकिन महिलाएं मात्र 9 फीसदी

ऐसा पहली बार देखा गया है कि कांग्रेस ने अपनी कार्यकारिणी में दो ट्रांसजेंडर को सदस्य बनाया हो. यह कांग्रेस की एक नई पहल है जिसको लेकर उनकी तारीफ की जा रही है. लेकिन दूसरी तरफ महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का समर्थन करने वाली कांग्रेस ने अपनी ही कार्यकारिणी में महिलाओं को मात्र 9 फीसदी स्थान दिया है. इसे लेकर भी कांग्रेस आलाकमान की आलोचना हो रही है.

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