महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव तारीखों का ऐलान तो हो चुका है, लेकिन जो एक सबसे बड़ा आधिकारिक ऐलान होना अभी बाकी है, वो है बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों के बंटवारे का ऐलान. जिसे लेकर खींचतान अभी कम नहीं हुई है. महाराष्ट्र में कौन बड़ा भाई बनेगा और कौन छोटा इसके लिए जोर आजमाइश जारी है. बीजेपी की तरफ से जारी पहली तस्वीर ने ये साफ कर दिया है कि पिछली बार की तरह इस बार भी वही बड़े भाई का रोल अदा करने वाली है.
बीजेपी का सीट शेयरिंग फॉर्मूला
सीट शेयरिंग को लेकर चल रही जद्दोजहद के बीच बीजेपी की तरफ से एक फॉर्मूला तय किया गया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने शिवसेना को 126 सीटें देने का फैसला किया है. वहीं खुद 144 सीटें रखी हैं. लेकिन इस सीट शेयरिंग के फॉर्मूला में एक पेंच और भी बताया जा रहा है. जिसके मुताबिक,
बीजेपी ने शिवसेना को दी गई 126 सीटों में से 9 सीटें छोटे दलों को देने की शर्त भी रखी है. जिसके मुताबिक शिवसेना 126 में से 9 सीटें और बीजेपी भी 144 में से 9 सीटें छोटे दलों को देगी.
शिवसेना की जिद- 'बराबर से कम नहीं'
बीजेपी ने भले ही सीट शेयरिंग का एक फॉर्मूला देकर गेंद शिवसेना के पाले में डाल दी हो, लेकिन गठबंधन इतना आसान नहीं दिख रहा है. शिवसेना पहले से ही खुद को बीजेपी से कमतर आंकने को तैयार नहीं है. शिवसेना का कहना है कि उन्हें 288 सीटों में से 135 सीटें चाहिए. उनके नेताओं के मुताबिक विधानसभा चुनाव के लिए जो फॉर्मूला होना चाहिए, उसमें 135 सीटों पर बीजेपी और 135 सीटों पर शिवसेना लड़ेगी. बाकी की 18 सीटें छोटे दलों को दी जाएंगी.
बीजेपी बराबरी करने के लिए किसी भी सूरत में तैयार नहीं है. क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजों ने बीजेपी को बड़ा बूस्ट दिया है. वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी फ्रंट फुट पर खेल रही है. ऐसे में अगर शिवसेना बराबरी वाली जिद पर अड़ी रहती है तो बीजेपी अकेले चुनाव लड़ने की ओर देख सकती है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
अब अगर आंकड़ों की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. महाराष्ट्र की कुल 288 सीटों में से बीजेपी ने 122 सीटें हासिल कर साबित कर दिया कि वो महाराष्ट्र में अब ‘ओपनिंग प्लेयर’ के तौर पर उतरेगी. वहीं इस चुनाव में शिवसेना महज 63 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी. बहुमत का 145 सीटों का आंकड़ा छूने के लिए बीजेपी को शिवसेना का हाथ थामना पड़ा. लेकिन मुख्यमंत्री बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस बने. यानि शिवसेना को छोटे भाई की भूमिका में रखा गया.
लोकसभा चुनाव के नतीजे भी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की एक तस्वीर दिखाते हैं. लोकसभा चुनाव में हां और ना के बीच आखिरकार बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन हुआ. नतीजों की बात करें तो कुल 48 सीटों में से बीजेपी को 23 सीटों पर जीत मिली. वहीं शिवसेना ने 18 सीटों पर कब्जा किया. गठबंधन ने 48 सीटों में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर शिवसेना नेता तरह-तरह के बयान दे रहे हैं. हमेशा की तरह शिवसेना नेता बिना किसी चिंता के इस गठबंधन को एक लड़ाई बता रहे हैं. हाल ही में शिवसेना नेता संजय राउत ने इसे भारत-पाक बंटवारे से जोड़ दिया था. उन्होंने कहा था,
“इतना बड़ा महाराष्ट्र है ये जो 288 सीटों का बंटवारा है ये भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से भी भयंकर है. अगर हम सरकार में होने की बजाय विपक्ष में बैठे होते तो तस्वीर कुछ अलग होती. सीट बंटवारे पर जो भी फैसला लिया जाएगा हम बताएंगे.”संजय राउत, शिवसेना नेता
शाह की निगरानी में सीटों का गणित
अब चाहे शिवसेना बराबर सीटों के लिए कितने भी हाथ-पैर पटक रही हो, लेकिन बीजेपी इस फॉर्मूला को कतई स्वीकार करने के मूड में नहीं है. खुद अमित शाह सीटों के इस गणित में गुणा-भाग करते दिख रहे हैं. अमित शाह की मौजूदगी में हुई बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में तय हुआ कि शिवसेना को उसकी मर्जी के मुताबिक सीटें देना संभव नहीं है. बैठक में ही शिवसेना को सीट शेयरिंग का फॉर्मूला देने की बात तय हुई. फिलहाल अमित शाह ने उद्धव ठाकरे की तरफ गेंद उछाल दी है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस गेंद को शिवसेना कैसे पकड़ती है.
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