शिवसेना (Shivsena Saamna) के मुखपत्र सामना में बीजेपी (BJP) के साथ-साथ शिवसेना के बागी (Shivsena Rebels) हुए विधायकों की आलोचना की गई है. साथ ही बहुमत साबित करने के दौरान विधानसभा में नदारद रहे कुछ कांग्रेसी (Congress) और एनसीपी (NCP) के नेताओं पर भी सवाल उठाया गया.
सामना में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की सरकार को ED बताया गया है, जिसका मतलब एकनाथ-देवेंद्र (Eknath-Devendra) है.
कांग्रेस-NCP पर सवाल
सामना के संपादकीय में लिखा है कि, बीजेपी समर्थित शिंदे गुट की सरकार ने विधानसभा में बहुमत परीक्षण जीत लिया है, इसमें खुशी या दुख हो, ऐसा कुछ नहीं है, हाल में हुई परिस्थिति को देखकर लग नहीं रहा था कि इसके अलावा दूसरा कुछ होगा.
हिंगोली के विधायक संतोष बांगर विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव तक शिवसेना के पक्ष में खड़े थे लेकिन चौबीस घंटों में ऐसा क्या हुआ कि विश्वास मत प्रस्ताव के समय ये ‘निष्ठावान’ शिंदे गुट के कैंप में शामिल हो गए.
बांगर सोमवार को शिंदे गुट में भाग गए इसलिए विश्वास सिर्फ पानीपत में गिरा था ऐसा नहीं है, बल्कि प्रत्यक्ष महाराष्ट्र में भी कई ‘विश्वासराव’ भाग गए. बहुमत परीक्षण के समय बीजेपी समर्थित शिंदे समूह को 164 विधायकों ने समर्थन दिया और विरोध में 99 मत पड़े.
सामना में लिखा गया कि, कांग्रेस, राष्ट्रवादी के कुछ विधायक बहुमत परीक्षण के समय अनुपस्थित रहे. अशोक चव्हाण, विजय वडेट्टीवार जैसे वरिष्ठ मंत्री विधानसभा में नहीं पहुंच सके, इस पर हैरानी होती है.
सामना में बीजेपी पर हमला
सामना में लिखा गया कि, शिंदे कितने मजबूत, महान नेता हैं इस पर उन्होंने भाषण दिया, लेकिन फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से रोकनेवाली अदृश्य शक्ति कौन है? यह सवाल महाराष्ट्र के समक्ष खड़ा है.
बागी शिवसैनिकों पर तंज कसते हुए सामना में लिखा गया, पार्टी के आदेश को नजरअंदाज करके मतदान करते हैं. न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करते हैं, ऐसे गैरकानूनी लोगों के समर्थन से सरकार स्थापित करना और उस सरकार में दूसरे क्रमांक का पद स्वीकार करके अपने से कनिष्ठ नेता की प्रशंसा करना, इसी को फडणवीस की राजनीतिक प्रतिष्ठा का लक्षण समझा जाए क्या?
सामना में लिखा गया कि, बहुमत परीक्षण जीतने के कारण अगले छह महीने इस सरकार को खतरा नहीं है, ऐसा जिन्हें लगता है वे भ्रम में हैं. भारतीय जनता पार्टी के लोग ही इस सरकार को पूर्व निर्धारित अनुसार नीचे गिराएंगे और महाराष्ट्र को मध्यावधि चुनाव की खाई में धकेलेंगे. शिंदे के बागी गुट को शुद्ध मकसद से सत्ता पर बैठाने जितना इन लोगों का मन बड़ा नहीं है. 106 विधायकों का मुख्यमंत्री नहीं बनता और 39 बागियों का मुख्यमंत्री बन जाता है. इसमें गोलमाल है.
सामना में लिखा गया कि, यही तो बीजेपी का कपट खेल है. साल 2024 में इन्हीं लोगों ने ‘युति’ तोड़ी. साल 2019 में इन्हीं लोगों ने ‘युति’ अर्थात शिवसेना का मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया. फिर आज फडणवीस किस युति की शेखी बघार रहे हैं.
सामना में आगे लिखा गया कि, एमवीए की सरकार के पहले ही दिन से सरकार को उखाड़ने का प्रयास चल रहा था. नियति किसी को छोड़ती नहीं है, जिनके पीछे ईडी लगाई उन्हीं के घर के नीचे केंद्र सरकार को पहरा बैठाकर सुरक्षा देनी पड़ी. जाधव कहते हैं इस पर बोलो. इसी ‘ईडी-पीडी’ विधायकों के मत के दम पर शिंदे गुट की सत्ता बीजेपी ने लाई है. क्या ये बहुमत है? शिवसेना खत्म हो रही थी इसलिए हमने बगावत की, ऐसी व्यर्थ बातें कुछ फूटे हुए विधायक कर रहे हैं। तुम खत्म हो जाओगे परंतु शिवसेना कभी खत्म नहीं होगी.
इसके आखिरी में लिखा गया कि,बीजेपी द्वारा कराई गई बगावत की यही अवस्था है. बहुमत जीत गए छह महीने सत्ता भोगो. यही सभी का सार है!
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)