नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर उनकी विरासत को लेकर शनिवार को पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी और उसकी कट्टर प्रतिद्वंदी बीजेपी एक दूसरे से आगे निकलने की रेस में दिखीं.
पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले, बोस की जयंती के मौके पर पहले तो शनिवार शाम तक दोनों पार्टियों ने नेताजी की विरासत सहेजने के मामले में एक-दूसरे को बेहतर दिखाने की कोशिश की.
फिर एक मौका ऐसा आया, जब कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में नेताजी के सम्मान में आयोजित किए गए कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक ही मंच पर दिखीं. मगर, इस कार्यक्रम में जब ममता के बोलने की बारी आई तो 'जय श्रीराम' के नारे लगने लगे.
इसके बाद ममता ने कहा, ‘’मुझे लगता है कि सरकार के कार्यक्रम की कोई मर्यादा होनी चाहिए. ये सरकार का कार्यक्रम है, किसी राजनीतिक दल का प्रोग्राम नहीं है. मैं प्रधानमंत्री जी और सांस्कृतिक मंत्रालय की आभारी हूं कि आप लोगों ने कोलकाता में प्रोग्राम रखा, लेकिन किसी को आमंत्रित करके उसका अपमान करना शोभा नहीं देता. मैं कुछ भी नहीं कहूंगी. जय हिंद, जय बांग्ला.’’
इतना कहकर ममता अपने भाषण को पूरा किए बिना ही कार्यक्रम से चली गईं.
बोस की विरासत पर आमने-सामने बीजेपी और टीएमसी
बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने बोस की 125वीं जयंती के मौके पर उनके ''अदम्य साहस और शौर्य को सम्मान देने के लिए'' 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया था.
वहीं, ममता ने इस फैसले की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि मैं पराक्रम दिवस का मतलब नहीं समझती हूं, हम लोग इस दिवस को ‘देशनायक दिवस’ के रूप में मनाते हैं.
ममता ने कहा, ‘’क्या आप जानते हैं कि हम लोग इस दिन को देशनायक दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं - ऐसा इसलिए है क्योंकि रवींद्रनाथ टैगोर नेताजी को इसी नाम से बुलाते थे. नेताजी को भावनाओं के साथ समझा जाना चाहिए. बहुत कम लोग ऐसे थे जिन्हें अपनी मातृभूमि से उतना ही प्रेम था, जितना कि नेताजी को था.’’
ममता ने शनिवार को कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पैतृक आवास का अचानक दौरा भी किया था.
बोस की 125वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शनिवार को पश्चिम बंगाल पहुंचे. यहां पहुंचकर उन्होंने पहले कोलकाता स्थित नेताजी भवन का दौरा किया. इस दौरान बोस के घर के बाहर पीएम मोदी का स्वागत 'जय श्री राम' के नारों के साथ हुआ. पीएम मोदी के साथ उस वक्त पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मौजूद थे.
इसके बाद पीएम मोदी ने कोलकाता की नेशनल लाइब्रेरी और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल का भी दौरा किया.
कोलकाता में PM मोदी ने क्या-क्या कहा?
कोलकाता में पीएम मोदी ने कहा, ''कोलकाता में आना मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला क्षण है. बचपन से जब भी ये नाम सुना- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मैं किसी भी परिस्थिति में रहा हूं, ये नाम कान में पड़ते ही मैं एक नई ऊर्जा से भर गया. इतना विराट व्यक्ति है उनका.''
प्रधानमंत्री ने कहा ‘’मैं नेताजी की 125वीं जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें नमन करता हूं.आज के ही दिन गुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं, छीन लूंगा.’’
पीएम मोदी ने कहा, ''हम सब का कर्तव्य है कि नेताजी के योगदान को पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए. इसलिए देश ने तय किया है कि नेताजी की 125वीं जयंती के वर्ष को ऐतिहासिक अभूतपूर्व भव्य आयोजनों के साथ मनाएंगे. देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती (23 जनवरी) को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया करेंगे.''
उन्होंने कहा, ‘’नेताजी जिस भी स्वरूप में हमें देख रहे हैं, हमें आशीर्वाद दे रहे हैं. जिस भारत की उन्होंने कल्पना की थी, LAC से लेकर LOC तक, भारत का यही अवतार दुनिया देख रही है. जहां कहीं से भी भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश की गई, भारत उसका मुंहतोड़ जवाब दे रहा है.’’
इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ''आज अगर नेताजी देखते कि उनका भारत इतनी बड़ी महामारी से इतनी ताकत के साथ लड़ा है. आज उनका भारत वैक्सीन जैसे आधुनिक वैज्ञानिक समाधान खुद तैयार कर रहा है, तो वो क्या सोचते, जब वो देखते कि भारत वैक्सीन देकर दुनिया के दूसरे देशों की मदद भी कर रहा है तो उनको कितना गर्व होता.''
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