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अकबर की मोदी दरबार से छुट्टी, राष्ट्रपति ने मंजूर किया इस्तीफा

पूरी तरह घर चुके थे विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर 

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विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर अब सिर्फ एमजे अकबर ही रह गए हैं. मोदी सरकार से उनकी छुट्टी हो गई है. राष्ट्रपति ने उनके इस्तीफे को मंजूर कर दिया है. MeToo में 20 महिलाओं ने उन पर यौन उत्पीड़न के बेहद गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन वो बार-बार यही रटे जा रहे थे कि सब झूठे हैं.

लेकिन दबाव इतना बढ़ गया कि अकबर उसे झेल नहीं पाए और पद छोड़ दिया. उन पर आरोप लगाने वाली 20 महिलाओं में से एक प्रिया रमानी पर तो उन्होंने 97 वकीलों की फौज लेकर मानहानि का दावा ठोक भी दिया था. इस मामले की सुनवाई गुरुवार को होनी है, लेकिन अदालत में किसी भी तरह की किरकिरी से बचने के लिए उन्होंने एक दिन पहले ही गद्दी छोड़ दी.
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प्रिया रमानी ने ट्वीट करके अकबर के इस्तीफे पर खुशी जताई है.

प्रिया रमानी के समर्थन में थीं 20 महिला पत्रकार

इसके बाद एक के बाद एक 20 महिला पत्रकारों ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. ये सभी पत्रकार ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकी हैं.

अकबर की ओर से रमानी को मानहानि का नोटिस भेजे जाने के बाद इन महिलाओं ने संयुक्त रूप से अपनी लड़ाई लड़ने की ठानी. उन्होंने रमानी को पूरी तरह समर्थन जताया और अदालत से गुजारिश की कि उनका पक्ष सुना जाए.

प्रिया रमानी को उनकी बेटी ने भी भावुक अंदाज में समर्थन किया है.

चौतरफा दबाव के बाद पद छोड़ा

एमजे अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आने के बाद उन पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया था. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा था कि अकबर को अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया.

जब अकबर के खिलाफ आरोप सामने आ रहे थे, तो वह सरकारी दौरे पर नाइजीरिया में थे. लौट कर आने के बाद उन्होंने इन आरोपों को झूठा करार दिया था और कहा था कि उन्हें बदनाम करने के लिए आरोप लगाए जा रहे हैं, ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.

अकबर आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों के खिलाफ अवमानना का नोटिस भेजा था. लेकिन प्रिया रमानी समेत एशियन एज में काम करने 20 पत्रकारों ने रमानी के आरोपों का समर्थन किया और कहा कि अकबर की यह पुरानी आदत रही है. वह अपने साथ काम करने वाली महिलाओं का यौैन उत्पीड़न करते रहे हैं.
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अकबर की ओर से आपराधिक मानहानि का नोटिस भेजने के कुछ घंटे बाद ही प्रिया रमानी ने एक बयान जारी कर कहा था कि पूर्ण सत्य ही इसके खिलाफ उनका एकमात्र बचाव है. वह इस बात से बेहद दुखी हैं कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओ की ओर से लगाए गए आरोपों को राजनीतिक साजिश बताते हुए खारिज कर दिया.

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अकबर: पत्रकारिता से राजनीति का सफर

अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ के संपादक पत्रिका ‘संडे’ के संस्थापक संपादक रहे अकबर 1989 में राजनीति में आने से पहले मीडिया में बड़ा नाम बन चुके थे. उन्होंने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर बिहार के किशनगंज से लोकसभा चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे. अकबर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे. मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य अकबर जुलाई 2016 से विदेश राज्य मंत्री हैं.

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