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कश्मीर जाएंगे PM मोदी, हिंसा के लिए PDP रहेगी निशाने पर

बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में हालात इतने भयावह हो सकते हैं, इसका अंदाजा लगाने में केंद्र सरकार विफल रही.

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दक्षिण कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में फैली अशांति का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर के दौरे पर जा सकते हैं.

इस दौरे का प्रमुख मकसद होगा राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक हाई लेवल बैठक करना. केंद्र सरकार की कोशिश रहेगी कि पीएम मोदी 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले यह दौरा करें.

मोदी के इस कश्मीर दौरे का फैसला मंगलवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया. इस मीटिंग में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्तमंत्री अरुण जेटली और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजि‍त डोभाल भी मौजूद थे.

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टारगेट पर महबूबा

मुठभेड़ में बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में हालात इतने भयावह हो सकते हैं, इसका अंदाजा लगाने में केंद्र सरकार जाहिर तौर पर विफल रही. इसी वजह से घाटी में हिंसा हुई और इसे अब तक भी रोका नहीं जा सका है.

इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एक कूटनीतिक फैसला किया और सर्वदलीय बैठक का आयोजन नहीं किया. केंद्र सरकार को भरोसा था कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, खासकर नेशनल कॉन्‍फ्रेंस इस पूरे विवाद का ठीकरा उनके सिर मढ़ सकता है.

साथ ही उच्चस्तरीय बैठक में यह राजनीतिक निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार के प्रति कश्मीरी जनता के मन में जो गुस्सा भरा है, उसे कम करने के लिए इसे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के खिलाफ मोड़ना होगा और टारगेट बनाया जाएगा मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को.

केंद्र सरकार का खेल

कश्मीर में हिंसा के लिए पीडीपी को दोषी ठहराने की बात सोचकर केंद्र सरकार ने अपनी विफलता को खुद जाहिर किया है. केंद्र सरकार को यह सोचना चाहिए कि इसी पीडीपी के साथ वह गठबंधन में है और इस वक्त सरकार का यह फैसला भविष्य में गंभीर राजनीतिक प्रभाव ड़ाल सकता है.

लोगों को मरहम लगाने की कोशिश

इस बीच मोदी सरकार लगातार कश्मीरी जनता को हीलिंग टच देने की कोशिश भी कर रही है. मीटिंग के बाद एक रणनीति के तहत फौज और बीएसएस समेत सीआरपीएफ के जवानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मृत प्रदर्शनकारियों के अंतिम संस्कार में खास सावधानी बरतें और लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें.

(लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और सामरिक मामलों के विश्लेषक भी हैं. इनसे ट्विटर पर @kishkindha हैंडल के जरिए संपर्क किया जा सकता है)

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