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पहले राज्यपाल अब स्पीकर की चिट्ठी, MP में आखिर चल क्या रहा है?

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार संकट में दिख रही है

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मध्य प्रदेश का सियासी संकट सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. पहले राज्यपाल, फिर कमलनाथ और अब विधानसभा स्पीकर ने बाजी खेल दी है. पहले राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेटर लिखकर उनको सदन में बहुमत साबित करने के निर्देश दिए. जवाब में कमलनाथ ने पहले बंदी बनाए 16 कांग्रेसी विधायकों को आजाद करने की मांग कर दी. अब विधानसभा अध्यक्ष ने भी राज्यपाल को लेटर लिखकर लापता विधायकों की वापसी सुनिश्चिचित करने की मांग की है.

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उधर बागी कांग्रेस विधायकों ने कहा है कि वो जल्द ही बीजेपी में शामिल होने पर फैसला करेंगे. अगर ऐसा होता है तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार का गिरना तय है. शायद इसी डर से कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट करने से बचती दिख रही है. वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी है.

क्या दबाव बनाकर विधायकों से लिए गए इस्तीफे?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी से इस्तीफे के बाद 22 विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इनमें से छह विधायकों का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया. लेकिन 16 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेना बाकी है. कमलनाथ सरकार बीजेपी पर लगातार इन 16 विधायकों को बंधी बनाने का आरोप लगा रही है. अब विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों पर चिंता जताई है.

विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने राज्यपाल को लेटर लिखकर विधायकों की वापसी सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है. प्रजापति ने राज्यपाल से कहा- 'मेरा आपसे अनुरोध है कि आप कार्यकारी प्रमुख होने के नाते लापता विधायकों की वापसी सुनिश्चित करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाए. मेरी और उन सदस्यों के परिवार की चिंताओं का समाधान करने का कष्ट करें.'

16 विधायकों के इस्तीफे अन्य लोगों के जरिए मुझे मिले. नियम के मुताबिक, इन्हें पेश होने के निर्देश दिए गए. लेकिन इनमें से कोई भी विधायक उपस्थित नहीं हुआ. 16 मार्च को विधानसभा सत्र में भी ये अनुपस्थित रहे. इनमें से कुछ विधायकों के परिवार की ओर से चिंता व्यक्त की गई है. 
नर्मदा प्रसाद प्रजापति, मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते मैं अपने सदस्यों के लापता होने को लेकर बेहद चिंतित हूं. मुझे आशंका है कि इनसे इस्तीफे दबाव बनाकर लिखवाए गए हैं. क्या ये संविधान के मौलिक अधिकारों में स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं है? 
नर्मदा प्रसाद प्रजापति, मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष

बीजेपी की फ्लोर टेस्ट कराने की मांग

बीजेपी की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि कांग्रेस के 22 विधायक अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं. इसके चलते राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. बीते तीन दिनों में राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से दो पत्र लिखकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट के लिए कहा गया, मगर उस पर अमल नहीं हुआ. राज्यपाल ने 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था और साथ ही कहा था कि अगर ऐसा नहीं होता है तो माना जाएगा कि सरकार को बहुमत नहीं है.

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज और अन्य की याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के लिए 18 मार्च सुबह 10.30 बजे का समय निर्धारित किया है. इसके बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. कांग्रेस ने कोर्ट में याचिका दी है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए जिससे पार्टी अपने विधायकों तक पहुंच सके.

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