महाराष्ट्र की राजनीति में राज्यपाल बनाम सरकार संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा. फिर एक बार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बीच लेटर वॉर छिड़ गया है. इस बार मनमुटाव की वजह बना है साकीनाका रेप केस (Sakinaka Rape Case) का मामला.
राज्यपाल का सीएम ठाकरे को खत
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने साकीनाका रेप मर्डर कांड का हवाला देते हुए सीएम ठाकरे को महिला सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाने की सूचना दी. बीजेपी के महिला विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने उठाई मांग के बाद राज्यपाल ने सीएम को खत लिखा. जिसके जवाब में सीएम ने राज्यपाल को खत लिखकर सरकार विरोधी लोगों के सुर में सुर मिलाना लोकतंत्र की हत्या करने का काम बताया. सीएम ठाकरे का कहना है कि साकीनाका रेप मामले के बाद एमवीए सरकार से कड़े कदम उठाए गए है. इसके बावजूद विशेष सत्र बुलाने पर नया विवाद खड़ा हो सकता है.
सीएम ठाकरे ने राज्यपाल को बीजेपी शासित राज्यों का उदाहरण देते हुए आगे सलाह दी है कि महिला अत्याचार और बलात्कार की घटनाएं सिर्फ महाराष्ट्र नहीं बल्कि पूरे देश के लिए कलंक है. इसीलिए इस राष्ट्रव्यापी मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्यपाल को प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को खत लिखकर संसद का चार दिनों का विशेष सत्र बुलाने की मांग करनी चाहिए.
ठाकरे ने पूछा- क्या किसी दूसरे राज्य ने बुलाया विशेष सत्र?
सीएम उद्धव ने अपने खत में देशभर में हुए रेप और हत्या ममलों की याद दिलाई. दिल्ली में 9 साल की दलित बच्ची पर शमशान में हुए रेप और हत्या के ताजे मामले पर रौशनी डालते हुए केंद्र सरकार पर सवाल उठाए. साथ ही बिहार में एक सांसद ने महिला कार्यकर्ता पर किया अत्याचार का मामला, यूपी में एक खो- खो खिलाड़ी पर हुए बलात्कार और हत्या का मामला, हाथरस, उन्नाव, बदायूं के साथ जम्मू -कश्मीर, गुजरात और देवभूमि कहलाने वाले उत्तराखंड के बर्बरता भरे रेप मामलों का भी उल्लेख किया. लेकिन क्या इनमें से किसी भी राज्य ने विशेष सत्र बुलाया ये सवाल ठाकरे ने पूछा है.
हालांकि सीएम ठाकरे ये बताना भी नहीं भूले कि साकीनाका रेप मर्डर कांड के बाद सरकार ने निर्भया पथक की स्थापना से लेकर पीड़ित महिला के परिवार को मुआवजा और फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलाने के आदेश दिए हैं. सीएम ने हाल ही में सामने आए NCRB के आंकड़ो का हवाला देते हुए यूपी, मध्य प्रदेश और गुजरात में महिला अत्याचार और अपहरण के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जताई.
सूत्रों की मानें तो ये विवाद यहीं पर नहीं रुका. पिछले विधानसभा सत्र में एमवीए सरकार ने बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित किया था. एमवीए सरकार के समन्वय समिति की बैठक में निर्णय हुआ है कि जब तक महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष का चयन नहीं होता तब तक बीजेपी के निलंबित विधायकों की विधिमंडल में वापसी नहीं होने देंगे. बता दें कि पिछले साल एमवीए सरकार की तरफ से विधान परिषद के 12 विधायकों की सूची को भी राज्यपाल ने अब तक मंजूरी नही दी है. जिससे साफ हो रहा है कि राज्यपाल और एमवीए सरकार के बीच का संघर्ष आने वाले दिनों में और तीव्र होने के संकेत हैं.
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