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नीतीश-पासवान की आज मुलाकात, क्या है सियासी मायने?

एनडीए में चल रही खींचतान के बीच दोनों की मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है.

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बीजेपी के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से आज मुलाकात करने वाले हैं. एनडीए में चल रही खींचतान के बीच दोनों की मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है. ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश रामविलास पासवान को अपने खेमे में करने की कोशिश कर रहे हैं.

नीतीश रविवार को पार्टी की जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करने से पहले पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक में शनिवार को शिरकत करेंगे.

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नीतीश अगले लोकसभा चुनाव से पहले कई मुद्दों पर अपनी पार्टी का रुख सामने रख सकते हैं, क्योंकि उनके अगले राजनीतिक कदम के बारे में अटकलों का बाजार गर्म है.

रामविलास पासवान से मुलाकात क्यों?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 12 जुलाई को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की मुलाकात होने वाली है. उस मुलाकात से पहले दोनों नेता अपना एजेंडा तय करना चाहते हैं.

2013 में एनडीए से अलग हुआ था JDU

ऐसी अटकले हैं कि नीतीश राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ अपना गठजोड़ बहाल करने को इच्छुक हैं, लेकिन उनकी पार्टी के नेता इसे खारिज कर चुके हैं. जेडीयू के कई नेताओं ने एनडीए में 2013 से पहले वाली स्थिति बहाल करने की मांग की है.

नीतीश कुमार ने 2013 में बीजेपी से नाता तोड़ा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद बीजेपी की राज्य में जड़े मजबूत हुई और ऐसे में जेडीयू को बड़े भाई का दर्जा देने की संभावना कम ही है.

2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 22 सीटें जीती थीं. रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी 6 और तीन सीटों पर विजय रही. जेडीयू के खाते में केवल दो सीटें आई थीं.

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हाल में बीजेपी और जेडीयू के बीच जिस तरह की बयानबाजी देखने को मिली, उससे तो कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं. और ऐसा लगता है कि नीतीश आने वाले दिनों में कोई चौंकाने वाला कदम उठा सकते हैं? 

तो क्‍या फिर लालू से दोस्‍ती गांठेंगे नीतीश?

नीतीश कुमार का अगला कदम क्‍या होगा, इस बारे में कुछ कहना जल्‍दबाजी होगी. लेकिन राजनीति में हवा का रुख देखकर दोस्‍त या दुश्‍मन बनाने का चलन हमेशा से रहा है.

बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि नीतीश ने जिस उम्‍मीद के साथ बीजेपी का दामन थामा था, उनकी वे उम्‍मीदें अब कुंभला रही हैं. उन्‍हें एनडीए में वो भाव नहीं मिल रहा, जिसकी उन्‍हें अपेक्षा रही होगी.

कभी विपक्षी खेमे के पीएम दावेदार समझे जा रहे नीतीश को एनडीए के भीतर अपनी अलग पहचान बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. तो क्‍या वे फिर अपने पुराने दिनों के दोस्‍त लालू प्रसाद के पास लौट जाएंगे?

वैसे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दोनों लाल तेजस्वी यादव और तेजप्रताप ने पहले ही साफ कर दिया है कि नीतीश चाचा की अब महागठबंधन में एंट्री नहीं हो सकती. कुछ दिन पहले ही तेजप्रताप ने घर के बाहर 'नो एंट्री नीतीश चाचा' का बोर्ड लगा दिया था.

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