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वोटिंग में चला NOTA का भी जोर,कई पार्टियों के मंसूबों पर फिरा पानी

कई राज्यों में छोटी पार्टयों के वोटों से भी ज्यादा नोटा दबाने वालों की तादाद

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी और कुछ अन्य क्षेत्रीय पार्टियों को नोटा (NOTA- इनमें से कोई नहीं) से कम वोट मिले हैं. इससे इन राज्यों में समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के विस्तार की महत्वाकांक्षाओं को करारा झटका लगा है. सबसे अधिक नोटा का बटन छत्तीसगढ़ में दबा. जहां नोटा की वजह से राजनीतिक पार्टियों को 2 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ.

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नोटा बटन दबाने वाले वोटरों की तादाद

  • छत्तीसगढ़ में 281,329 . कुल मतों का 2 फीसदी
  • मध्य प्रदेश में 540,352 वोट. कुल मतों का 1.4 फीसदी
  • राजस्थान में 467,781 वोट. कुल मतों का 1.3 फीसदी है.
  • मिजोरम में 2917 वोट, कुल मतों का 0.5 फीसदी
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आम आदमी को सबसे करारा झटका

नोटा से सबसे करारा झटका आम आदमी पार्टी को लगा है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Election Results) की 90 में से 85 सीटों पर आप ने चुनाव लड़ा था. एसपी को यहां 0.9 फीसदी, एसपी और एनसीपी को को 0.2 और सीपीआई को 0.3 फीसदी वोट मिले. मध्य प्रदेश में 1.4 फीसदी मतदाताओं ने नोटा को अपनाया जबकि एसपी को राज्य में एक और आम आदमी पार्टी को को 0.7 फीसदी वोट मिले. इसी तरह राजस्थान में सीपीएम में 1.3 फीसदी और एसपी को 0.2 फीसदी मिले वोटों की तुलना में राज्य के 1.3 फीसदी मतदाताओं ने नोटा अपनाया.

तेलंगाना में सीपीएम और सीपीआई को 0.4 फीसदी और एनएसपी को 0.2 फीसदी वोट मिले. जबकि नोटा के खाते में 1.1 फीसदी वोट पड़े. नोटा बटन दबाने वालों की तादाद में इजाफे की वजह से कई छोटी पार्टियों के अरमान पर पानी फिर गया. आम आदमी पार्टी, शिवसेना, सीपीआई और सीपीएम, एसपी और बीएसपी की इन राज्यों में अपनी विस्तार की मंशा धरी रह गई. मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी काफी उम्मीदें लेकर गई थी लेकिन उसे मतदाताओं का बिल्कुल समर्थन नहीं मिला.

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