महाराष्ट्र की सियासत में पूर्व पुलिस कमिश्नर के लेटर के बाद हलचल लगातार जारी है. अब विपक्षी पार्टी बीजेपी ने ठाकरे सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. पूर्व सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने गृहमंत्री अनिल देशमुख को हटाने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि जब तक देशमुख अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे, तब तक इस मामले की जांच नहीं हो सकती है. इसीलिए बीजेपी तब तक आंदोलन करती रहेगी.
‘अधिकारियों की शिकायत को पहले भी किया नजरअंदाज’
फडणवीस ने कहा कि, महाराष्ट्र मे परमबीर सिंह की चिट्ठी का कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले राज्य के तत्कालीन डीजी सुबोध जायसवाल ने राज्य में पुलिस विभाग में ट्रांसफर, पोस्टिंग में पैसे की बड़ी लेन-देन की रिपोर्ट सरकार को दी थी. लेकिन उस रिपोर्ट पर सरकार ने कोई कारवाई नहीं की. आखिर तत्कालीन डीजी सुबोध जायसवाल डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए. उस समय रिपोर्ट पर कारवाई होती तो आज ये नौबत नहीं आती. उन्होंने कहा,
“पुलिस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने भी इस लेन-देन के मामले में कुछ कॉल्स टैप किए थे. जिसमें कई बड़े नाम सामने आए थे. उन्होंने इसकी रिपोर्ट डीजी को पेश की थी. लेकिन बाद में रश्मि शुक्ला का ही तबादला किया गया. अब वो भी केंद्र सरकार की पोस्टिंग पर जाने की तैयारी में है. इसी वजह से सुबोध जायसवाल को पद छोड़ना पड़ा, क्योंकि सरकार ने उनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की, उन्होंने अपनी रिपोर्ट मे कहा था कि प्रॉपर चैनल के द्वारा इस मामले में ट्रांसफर के लिए पैसे दिए जा रहे थे.”
फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कहा-
- शरद पवार आधा सच बता रहे हैं, सीएम और गृहमंत्री के आशीर्वाद से ही सचिन वझे को सेवा मे लिया गया.
- जो मंत्री पद पर हैं, उनकी जांच रिटायर्ड डीजी कर सकते हैं क्या? तो रीबेरो अनिल देशमुख की जांच कैसे करेंगे?
- पवार राज्य सरकार के साथ जुड़े हैं, इसीलिए वो अपनी सरकार और मंत्री का बचाव कर रहे हैं.
- भले ही परमबीर सिंह ने वझे को वापस सेवा में लिया लेकिन मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के कहने पर ये फैसला हुआ था. सरकार के आशीर्वाद से वझे की पोस्टिंग हुई थी.
- सीएम इस मामले में क्यों नहीं बोल रहे हैं. डिप्टी सीएम अजित पवार क्यों नहीं बोल रहे, जबकि परमबीर सिंह ने अपने लेटर मे कहा था कि उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी थी.
- जब तक गृहमंत्री अपने पद पर हैं तब तक इस मामले मे जांच नहीं हो सकती, इसलिए अनिल देशमुख का इस्तीफा होना चाहिए, गृहमंत्रालय कौन चला रहा? अनिल देशमुख या फिर शिवसेना के मंत्री अनिल परब? ये भी सवाल है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)