विपक्ष ने संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने के एक दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठाया. अब्दुल्ला लोकसभा के सदस्य हैं. अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने और राज्य के पुनर्गठन के बाद से फारूक अब्दुल्ला, दो अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया है.
फारूक अब्दुल्ला को मिले अनुमति:आजाद
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा, "फारूक अब्दुल्ला को संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि उन्हें बीते तीन महीनों से नजरबंद रखा गया है और पूर्व के उदाहरणों के अनुसार, जेल में बंद पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को भी कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए."
विपक्ष क्या मुद्दा उठाएगा?
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दृढ़ता से कहा कि विपक्ष संसद के शीतकालीन सत्र में आर्थिक संकट का मुद्दा उठाएगा, जबकि सरकार ने सदन का कामकाज सुचारु रूप से चलने का भरोसा दिया. जोशी ने बीजेपी की पूर्व सहयोगी शिवसेना के संदर्भ में कहा,
“शिवसेना कांग्रेस के साथ गठजोड़ बनाने पर काम कर रही है. बीजेपी ने विपक्ष में बैठने का विकल्प चुना है. हम इस पर सहमत हैं और उनके मंत्री ने भी सरकार से इस्तीफा दे चुके हैं.”
पीएम मोदी ने भी सत्र में लिया हिस्सा
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार से शुरू होने जा रहे संसद के महत्वपूर्ण शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में भाग लिया.
जोशी के अलावा उनके कैबिनेट सहयोगियों-अर्जुन राम मेघवाल और वी.मुरलीधरन, केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह, थावरचंद गहलोत ने भी सर्वदलीय बैठक में भाग लिया. यह बैठक रविवार को संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में बुलाई गई थी.
तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गाला, कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, बहुजन समाज पार्टी के सतीश मिश्रा ने भी इसमें भाग लिया.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन और सुदीप बंद्योपाध्याय, लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सांसद रामदास अठावले, अन्ना द्रमुक के नवनीत कृष्णनन व अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने भी बैठक में भाग लिया.
केंद्र सरकार इस सत्र में करीब 35 विधेयकों को पारित कराना चाहती है. इन विधेयकों में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 भी शामिल है. मौजूदा समय में संसद में 43 विधेयक पेंडिंग हैं.
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