महाराष्ट्र में पीएम मोदी एक के बाद एक रैली संबोधित कर रहे हैं. हर रैली में एनसीपी-कांग्रेस पर सीधा हमला बोल रहे हैं. सतारा में मोदी ने कहा कि कांग्रेस-एनसीपी जनता के मूड को समझने में नाकाम रहे हैं., इस वजह से लोकसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.
इस चुनाव में महाराष्ट्र और हरियाणा के लोग एनसीपी-कांग्रेस को झटका देने जा रहे हैंनरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
इससे पहले महाराष्ट्र के परली में पीएम ने कहा एक तरफ हमारी कार्यशक्ति हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी स्वार्स्थशक्ति है. ये लोग कभी भी महाराष्ट्र का विकास नहीं होने देंगे.विरोधी दल के नेताओं को को चिंता हो रही है कि बीजेपी के कार्यकर्ता इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं? मैं आज बीड से उनको बता दूं कि, बीजेपी के पास लगन से कार्य करनेवाले कार्यकर्ता हैं, तभी वो दिलों को जीतते हैं और दलों को जिताते हैं.
रैली के दौरान पीएम ने कांग्रेस को भी निशाने पर लिया-
कांग्रेस के अधिकतर नेता आज आपस में एक दूसरे से निपटने में लगे हैं. इनकी युती में जो युवा नेता थे वो भी साथ छोड़ रहे हैं और वरिष्ठ नेता आज हताश-निराश हैं. आप लोग बताइये क्या ये थके हुए और हारे हुए लोग आपका भला कर पाएंगें. देश की एकता-अखंडता में कांग्रेस को हिन्दू मुसलमान नजर आता है. कांग्रेस कहती है कि कश्मीर का मुद्दा भारत का अंदरूनी मामला नहीं है. कांग्रेस के एक और नेता ने कहा कि ये देश को बर्बाद करने वाला फैसला है क्या ऐसे बयान देने वालों को आप माफ करेंगे?
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला.
अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले पर एक ने कहा था कि ये किसी की हत्या करने जैसा है. एक नेता ने कहा कि ये भारत की राजनीति का काला दिन है. एक नेता ने कहा कि ये लोकतंत्र के खिलाफ है, एक और बड़े नेता ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की खत्म हो गया. एक और नेता ने कहा कि इस फैसले से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है. ये हमारे विरोधियों की भाषा है. 370 का विरोध हमारी पार्टी का जन्म हुआ उस दिन से करते आ रहे हैं. हम राजनीति के लिए नहीं करते, हम देशनीति के लिए करते हैं.
बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है. दिल्ली से कई राष्ट्रीय नेताओं को चुनाव प्रबंधन के लिए महाराष्ट्र के मोर्चे पर लगाया गया है. महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन टूटने पर सभी 288 विधानसभा सीटों पर अलग-अलग लड़ने पर बीजेपी को 122 सीटें मिलीं थीं.
वहीं शिवसेना को सिर्फ 63 हासिल हुईं थीं, जबकि कांग्रेस और राकांपा को 42 और 41 सीटें मिलीं थीं. पूर्ण बहुमत से 20 सीटें कम होने के कारण तब बीजेपी को शिवसेना के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी थी. इस बार 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन के कारण सिर्फ 150 सीटों पर खुद लड़ रही है, वहीं 14 सीटों पर उसके ही सिंबल पर दूसरे सहयोगी दल लड़ रहे हैं.
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