महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) चीफ प्रकाश अंबेडकर ने कांग्रेस को 144 सीटों की पेशकश की है. लेकिन कांग्रेस ने इस पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी और शिवसेना के मुकाबले के लिए सेकुलर पार्टियों को साथ आना चाहिए.
144 सीटों के ऑफर पर कांग्रेस चुप क्यों?
महाराष्ट्र में कांग्रेस के चीफ बालासाहब थोराट ने वंचित बहुजन अघाड़ी की ओर से 144 सीटों के ऑफर पर क्विंट से कहा कि पार्टी की सोच ये है कि बीजेपी और शिवसेना के मुकाबले के लिए एक सेकुलर मोर्चे की जरूरत है. सेकुलर पार्टियों को साथ आना चाहिए. अघाड़ी के चीफ प्रकाश अंबेडकर चुनाव में सेकुलर मोर्चा बनाने में हमारा साथ देंगे इसका हमें पूरा भरोसा है. हालांकि 288 में से 144 सीटों के ऑफर पर फिलहाल थोराट कोई सीधा जवाब देने से बचते रहे.
क्या इशारा करता है 144 सीटों का ऑफर?
प्रकाश अंबेडकर की ओर से कांग्रेस को आधी सीटों के (महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटेंं हैं) ऑफर के बारे में कहा जा रहा है कि बहुजन अघाड़ी खुद को बढ़ा-चढ़ा कर आंक रही है. अगर इस मांग को लेकर अंबेडकर अड़े रहे तो उनका कांग्रेस से गठबंधन मुश्किल होगा. महाराष्ट्र में कांग्रेस की पकड़ आज भी मजबूत है ऐसे में इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़ना उसके लिए संभव नहीं होगा. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अंबेडकर इस तरह का ऑफर देकर अपनी बार्गेनिंग पावर बढ़ाना चाहते हैं.
अंबेडकर भी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि अगर गठ बंधन बना कर चुनाव नहीं लड़ा तो वोटों का बंटवारा होगा और इसका सीधा फायदा बीजेपी शिवसेना गठबंधन को होना तय है.
VBA फैक्टर क्यों हैं अहम?
लोकसभा चुनाव में अंबेडकर ने गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए चुनाव प्रचार किया था. इसकी वजह से कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की लगभग दस लोकसभा सीटों पर वंचित बहुजन अघाड़ी के उम्मीदवारों को एक लाख से ज्यादा वोट मिले. इसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा. नांदेड़ जो कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट मानी जाती थी, वहां भी VBA के यशपाल भिंगड़े को 1.60 लाख वोट मिले, जिसकी वजह से अशोक चव्हाण को हार का सामना करना पड़ा. पूर्व सीएम सुशील कुमार शिंदे को भी VBA ने बड़ा झटका दिया. शायद यही वजह है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में वोटों का बंटवारा नहीं चाहती.
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