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राजस्थान उपचुनाव में कांग्रेस बनाम बीजेपी का मुकाबला दिलचस्प

Rajasthan उपचुनाव में कांग्रेस की नजर 16 में से आठ बार चुनाव जीत चुके शक्तावत परिवार की ओर

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जयपुर के मेवाड़ के वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीटों पर हो रहे उप चुनाव में किस राजनीतिक दल का दबदबा रहेगा उसकी उलटी गिनती मंगलवार 28 सितंबर से शुरू हो गई. दीपावली से ठीक दो दिन पहले चुनाव परिणाम को घोषणा होगी तो साफ हो जाएगा कि किसका दिया रोशन होगा और किसकी बत्ती गुल होगी?

इन उप चुनाव को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की ग्रैंड रिहर्सल (Grand rehearsal) भी कहा जा सकता है. जहां एक ओर सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) के कामकाज और सरकार का लिटमस टेस्ट हो जाएगा तो विपक्ष में बैठकर ताल ठोक रही बीजेपी (BJP) का भी जमीनी सच सामने आ जाएगा.

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दोनों पार्टियों के अंदर खाने में प्रदेश नेतृत्व को लेकर उठाया जा रहा बड़ा सवाल भी इन दोनों सीटों के परिणामों के आस-पास घूमेगा.

कोरोना काल में विधायकों की मौत के कारण खाली हुईं सीटें

राजस्थान की इस दोनों ही सीटों पर कोरोना का ग्रहण लग गया था. वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत और धरियावद से बीजेपी विधायक गौतमलाल मीणा का आकस्मिक निधन हो गया था.

इनके अलावा प्रदेश की तीन और विधानसभा सीटों राजसमंद, सहाड़ा और सुजानगढ़ पर भी असमय विधायकों की अकस्मात मृत्यु हो गई थी. लेकिन मई में इन तीनों सीटों पर उपचुनाव हो गए थे.

वोटबैंक मजबूत करने पर नजर

  • कांग्रेस के लिए जहां धरियावद सीट ज्यादा महत्वपूर्ण है तो वहीं बीजेपी के लिए वल्लभनगर सीट ज्यादा चुनौतीपूर्ण है.

  • धरियावद में बीजेपी के दिवंगत विधायक गौतमलाल मीणा ने लगातार दो बार कांग्रेस को हराकर जीत दर्ज की है.

  • कांग्रेस उप चुनाव में इसे अपने खाते में करना चाहती है. इसलिए कांग्रेस ने बीते दिनों प्रतापगढ़ नगर परिषद की सभापति रामकन्या गुर्जर समेत बीजेपी से जुड़े तीन बड़े नेताओं को अपने पाले में किया.

  • इस जोड़-तोड़ से कांग्रेस क्षेत्र के गुर्जर वोटों को साधना चाहती है. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह होगी कि गुर्जर वोटों की मौजूदगी में राज्य की कांग्रेस सरकार और पार्टी से नाराज चल रहे सचिन पायलट का फैक्टर भी यहां काम करेगा.

इधर, बीजेपी के सामने मजबूत उम्मीदवार को उतारने की चुनौती रहेगी, जिससे की क्षेत्र में पार्टी की पकड़ मजबूत दिख सके. हाल में उदयपुर प्रवास पर आए आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने भी जनजाति क्षेत्र के प्रचारकों और संघ कार्यकताओं की मैराथन क्लास ली थी.

इतना ही नहीं उन्होंने आदिवासी परिवार के साथ भोजन करके ये संदेश भी दिया था कि किस दिशा में संगठन को आगे बढ़ना है.

इसके अलावा कुंभलगढ़ में हुए बीजेपी के चिंतन शिविर में भी दोनों सीटों पर जीत के लिए ठोस रणनीति बनाई गई थी. इस उप चुनाव में दोनों बड़ी कोशिशों का सार्थक परिणाम भी सामने आ जाएगा.

पहले हुए उपचुनाव में सटीक बैठा सहानुभूति कार्ड

तीनों सीटों पर राजनीतिक दलों की ओर से खेला गया सहानुभुति का कार्ड सटीक चला. कांग्रेस और बीजेपी ने दिवंगत नेताओं के परिवारजनों को टिकट दिए और राजसमंद में किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी, सहाड़ा से कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी और सुजानगढ़ में मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पुत्र मनोज कुमार मेघवाल ने जीत दर्ज की.

यही दांव और समीकरण क्या वल्लभनगर और धरियावद सीटों पर सटीक बैठ पाएगा, ये मौजूदा परिस्थितियों में कठिन दिख रहा है.

अंदरूनी कलह चिंता का सबब

अंदरूनी कलह कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए ही चिंता का सबब है. कांग्रेस में वरिष्ठ नेता सीपी जोशी और सचिन पायलट की नाराजगी अशोक गहलोत सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश बीजेपी से दूरी बना रखी है.

वो अंदरखाने अपने पत्ते चल रही हैं. वल्लभनगर सीट पर कांग्रेस सहानुभूति का दांव खेलने की तैयारी में है. इस सीट पर अब तक हुए 16 विधानसभा चुनाव में आठ बार शक्तावत परिवार का कब्जा रहा है. कांग्रेस इसी परिवार से उम्मीदवार तलाश रही है.

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इस सीट पर बीजेपी के लिए अपना उम्मीदवार चुनना बड़ी चुनौती होगी. जनता सेना के प्रमुख रणधीर सिंह भींडर इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाएंगे. बीजेपी के लिए कांग्रेस जितनी ही चुनौती 'जनता सेना' होगी.

भींडर चुनाव के ऐलान से कुछ दिन पहले खुले मंच से 'वसुंधरा राजे' को अपना नेता बता चुके हैं. मेवाड़ के सबसे बड़े और वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया के लिए ये उप चुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं होंगे.

हालांकि कांग्रेस के सामने भी शक्तावत परिवार के कई दावेदार उनकी दिमागी कसरत बढ़ा रहे हैं.

कहां, कितने वोटर

प्रतापगढ़ की धरियावद विधानसभा में कुल 2 लाख 57 हजार 155 मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें से 1 लाख 29 हजार 753 पुरुष और 1 लाख 27 हजार 402 महिलाएं हैं. उदयपुर के वल्लभनगर में 2 लाख 52 हजार 716 मतदाताओं में से 1 लाख 28 हजार 549 पुरुष व 1 लाख 24 हजार 167 महिला मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगी.

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