ADVERTISEMENTREMOVE AD

पायलट को भी राजस्थान CM दरकिनार कर रहे हैं,मुझे दुख है: सिंधिया

राजस्थान में सियासी हलचल तेज है. अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं और आरोप लगाए जा रहे हैं.

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

राजस्थान में सियासी हलचल तेज है. अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं और आरोप लगाए जा रहे हैं. जहां एक तरफ गहलोत बीजेपी पर उनकी सरकार को गिराने की कोशिश के आरोप लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गहलोत और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच ‘मतभेद’ को लेकर भी चर्चा तेज है. अब इसी चर्चा को हवा देते हुए पूर्व कांग्रेस और अब बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया है.

सिंधिया ने लिखा है कि उन्हें दुख हो रहा है कि उनके पूर्व सहयोगी सचिन पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस तरह दरकिनार कर रहे हैं. उन्होंने ये भी लिखा कि इस वजह से दिखता है कि टैलेंट और विश्वसनीयता की कांग्रेस में बहुत छोटी जगह है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये 'हलचल' कब देखने को मिली?

राजस्थान में हालिया सियासी हलचल तब तेज हुई जब राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) ने राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों के संबंध में शुक्रवार को एक मामला दर्ज किया था.

बताया जा रहा है कि एसओजी ने दो मोबाइल नंबरों की निगरानी से सामने आई जानकारी के आधार पर यह मामला दर्ज किया था. एसओजी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और चीफ व्हिप को इस मामले में बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजकर उनका समय मांगा था. इस बीच मीडिया में सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स सामने आईं कि एसओजी के लेटर ने पायलट को नाखुश कर दिया और इसे उन्होंने अपमान के तौर पर देखा है. गहलोत ने इस मामले पर रविवार को ट्वीट कर कहा, ''एसओजी को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप, अन्य कुछ मंत्री और विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं. कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है.''

मार्च 2020 में बीजेपी में शामिल हुए थे सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को कांग्रेस में 'भविष्य' के शीर्ष नेताओं के तौर पर देखा जाता रहा है. मार्च 2020 में कई महीनों की नाराजगी के बाद सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. उन्होंने सोनिया गांधी को भेजे गए अपने इस्तीफे में लिखा था, ‘’मैं अपने राज्य और देश की सेवा करना चाहता हूं. लेकिन कांग्रेस में रहते हुए मेरे लिए यह करना मुमकिन नहीं था. सिंधिया ने ये भी साफ किया है कि इस इस्तीफे के कहानी एक साल पहले ही शुरू हो गई थी.’’

बता दें कि 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से नाराज चल रहे थे. माना जा रहा था कि पार्टी सिंधिया पर भरोसा कर उन्हें सीएम बनाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आखिर में कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी. इसी नाराजगी को कम करने के लिए उन्हें पार्टी ने प्रियंका गांधी के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया था. लेकिन वो 2019 लोकसभा चुनाव में भी उतने एक्टिव नहीं दिखे. यहां तक की 2019 लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सीट भी नहीं बचा सके.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×