कांग्रेस (Congress) ने 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) के लिए 10 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है. उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी को दो तरफा विरोध का सामना करना पड़ रहा है. बाहरी लोग उम्मीदवारों पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं पार्टी के कुछ नेताओं ने भी नाराजगी जाहिर की है.
कांग्रेस ने जल्द ही खाली होने वाली 57 सीटों के लिए 10 उम्मीदवार उतारे हैं: छत्तीसगढ़ से राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन, हरियाणा से अजय माकन, कर्नाटक से जयराम रमेश, मध्य प्रदेश से विवेक तन्खा, महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी, राजस्थान से रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी और तमिलनाडु से पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम.
राजस्थान, छत्तीसगढ़ से कोई नहीं
कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कोई स्थानीय उम्मीदवार नहीं उतारा है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. दोनों राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होंगे, लेकिन फिर भी इन राज्यों के स्थानीय नेताओं को जगह नहीं दी गई.
राजस्थान से रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को नॉमिनेट किया गया है. इनमें से कोई भी मूल रूप से राजस्थान के नहीं हैं. जिसको लेकर राजस्थान कांग्रेस के सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक रूप से अपनी निराशा व्यक्त की है. दो साल पहले हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान से केसी वेणुगोपाल को उच्च सदन में भेजा था. वेणुगोपाल भी बाहरी ही हैं.
राजस्थान के सिरोही से कांग्रेस विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट कर पार्टी पर निशाना साधा.
द क्विंट से बातचीत में लोढ़ा ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, "यह एक गलती है. राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से एक भी उम्मीदवार का नाम नहीं घोषित करने से कार्यकर्ता और नेताओं में नाराजगी है. पार्टी को समझना चाहिए कि वह बिना सेना के नहीं लड़ सकती और सेना का मनोबल नहीं कम करना चाहिए.
"मैंने अपनी चिंताएं व्यक्त की है, साथ ही अपील भी की है. मुझे आशा है कि पार्टी इस पर पुनर्विचार करेगी. पार्टी कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की है और उन्हें मौका दिया जाना चाहिए. यह उनका अधिकार है, हालांकि, ऐसा करने में विफल रहने से आने वाले चुनावों में कांग्रेस निश्चित रूप से प्रभावित होगी. एक निराश कर्मचारी बेहतरी के लिए काम नहीं करता है."
पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उदयपुर में चिंतन-शिविर का इस्तेमाल सिर्फ मिलने-जुलने के लिए किया गया. इसमें राजस्थान के प्रतिनिधित्व को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.
बीजेपी नेता और राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने लोढ़ा के ट्वीट का जवाब देते हुए कांग्रेस पर चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि, "बाहरी लोगों को राज्यसभा चुनाव का टिकट देने का दर्द आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने आपको हर बार टिकट से वंचित रखा है."
छत्तीसगढ़ से दो उम्मीदवार राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं.
छत्तीसगढ़ के राजनीतिक टिप्पणीकार अशोक तोमर ने कहा कि,
"कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में निराशा और हताशा का माहौल है. हालांकि इसको लेकर वो कम मुखर हैं, क्योंकि ये फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है. हालांकि इसको लेकर बघेल के रुख पर सवाल उठाया जा रहा है. क्षेत्रवाद को लेकर उनके रुख पर भी अब सवाल उठ रहे हैं. पार्टी के भीतर के लोग पूछ रहे हैं कि उनके सीएम ने छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए कुछ क्यों नहीं कहा?"
पवन खेड़ा और नगमा का छलका दर्द
राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी अपना असंतोष जाहिर किया है. सार्वजनिक तौर पर पार्टी के विरोध से बचने वाले खेड़ा ने उम्मीदवारों की सूची की घोषणा के चंद मिनट बाद ही एक ट्वीट कर निराशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि, "शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई."
हालांकि, अलगे दिन खेड़ा ने ट्वीट किया कि, "मुझे पहचान कांग्रेस ने दी है. मैं अपनी इस बात से सहमत भी हूं और इस पर अडिग भी हूं." एक दूसरे ट्वीट में खेड़ा ने कांग्रेस उम्मीदवारों को बधाई भी दी है.
वहीं राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने पर महाराष्ट्र कांग्रेस नेता नगमा का भी दर्द छलका है. अभिनेत्री से नेता बनी नगमा ने सीधे-सीधे इमरान प्रतापगढ़ी पर निशाना साधा है. इमरान प्रतापगढ़ी को कांग्रेस ने महाराष्ट्र से टिकट दिया है.
नगमा ने ट्वीट करते हुए लिखा, “सोनिया जी हमारी कांग्रेस अध्यक्ष ने 2003/04 में मुझे राज्यसभा में भेजने के लिए व्यक्तिगत रूप से वादा किया था, जब मैं उनके कहने पर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई थी, तब हम सत्ता में नहीं थे. तब से 18 साल हो गए हैं. जबकि इमरान प्रतापगढ़ी को पार्टी महाराष्ट्र से राज्यसभा भेज रही है. क्या मैं कम योग्य हूं?"
चिंतन शिविर से कोई सीख नहीं?
उदयपुर में आयोजित कांग्रेस का चिंतन शिविर में संगठनात्मक सुधार को लेकर मंथन हुआ. पार्टी में कई बदलावों पर चर्चा भी हुई. जिसमें 'एक नेता- एक पद' प्रमुख एजेंडा था. लेकिन लगता है कि चिंतन शिविर के बाद इसे काफी जल्दी नजरअंदाज कर दिया गया है. उदाहरण के लिए, मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला और अजय माकन AICC में महासचिव हैं और अब उन्हें राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया है.
वहीं, रंजीत रंजन AICC सचिव हैं, जबकि राजीव शुक्ला पूर्व मंत्री हैं और वर्तमान में कांग्रेस कार्य समिति का भी हिस्सा हैं.
आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद का घटा कद
आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद, दोनों 'G23' के सबसे मुखर सदस्यों में से हैं. उन्हें फिर से राज्यसभा के लिए नामित नहीं किया गया है. आजाद का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हुआ था, जबकि शर्मा का कार्यकाल इस साल समाप्त होगा.
दिलचस्प बात यह है कि दोनों नेताओं को चिंतन शिविर के बाद गठित एक राजनीतिक सलाहकार समिति में शामिल किया गया था, जो सीधे सोनिया गांधी के साथ काम करेगा. हालांकि अब यह संभव है कि राज्यसभा का टिकट कटने के बाद सलाहकार समिति में दोनों की भूमिका बहुत अधिक नहीं होगी.
G23 नेताओं में से मुकुल वासनिक और विवेक तन्खा को राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकित किया गया है. वहीं किसी अन्य G23 नेता को टिकट नहीं मिला है.
कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि पार्टी ने अपने वफादारों को राज्यसभा का टिकट देकर उन्हें पुरस्कृत किया गया है.
उत्तर प्रदेश के 3 नेताओं को टिकट
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के तीन नेताओं-राजीव शुक्ला, प्रमोद तिवारी और इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजने का चौंकाने वाला फैसला किया है. हाल ही में हुए यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. कांग्रेस यूपी में सिर्फ 2 सीटें जीतने में सफल रही.
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