देश के 15 राज्यों की 57 राज्य सभा सीटों पर 10 जून को वोट डाले जाने हैं. हर दो साल में एक तिहाई सीटों पर मतदान होता है. ऐसे में समझते हैं कि राज्य सभा के सदस्यों को कौन और कैसे चुनता है? योग्यता क्या होती है?
राज्य सभा क्या है? कब बनी? (What is Rajya Sabha)
राज्य सभा को काउंसिल ऑफ स्टेट्स Council of States भी कहा जाता है. इसकी घोषणा सभा पीठ ने 23 अगस्त 1954 को किया. संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा Rajya Sabha के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है, जिसमें 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित (nominated member) करते हैं.
अभी राज्य सभा में कितने सदस्य हैं? (How many Members in Rajya Sabha)
अभी राज्य सभा में सदस्यों की संख्या 245 है, जिसमें से 233 सदस्य राज्यों और संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली तथा पुडुचेरी के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामित हैं. नामित होने के लिए सदस्यों को साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों का विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होना चाहिए. वह व्यक्ति 30 साल से कम आयु का नहीं होगा चाहिए.
राज्य सभा में किस पार्टी के कितने सांसद? (How Many MPs of party in Rajya Sabha)
राज्य सभा में बीजेपी के 95, कांग्रेस के 29, टीएमसी के 13, डीएमके के 10, बीजू जनता दल के 8, आम आदमी पार्टी के 8, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के 7, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 6, सीपीआई (एम) के 5, एआईएडीएमके के 5, एसपी के 5, आरजेडी के 5, जेडीयू के 5, एनसीपी के 4, बीएसपी के 3, शिवसेना के 3, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के 2 सांसद हैं.
राज्य सभा सदस्यों का चुनाव कैसे होता है? (How Rajya Sabha Members Elected)
लोकसभा की तरह राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव सीधे जनता नहीं, बल्कि जनता द्वारा चुने प्रतिनिधि करते हैं. यानी विधायक राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव करते हैं. राज्यसभा में सीटों की संख्या संबंधित राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है. राज्यसभा सीट जीतने के लिए एक उम्मीदवार को जरूरी संख्या में वोट चाहिए होते हैं, जिसे कोटा कहते हैं.
इसका सीधा गणित है- [राज्य में कुल विधानसभा सीट/राज्यसभा सीटों की संख्या+1]. इसे उत्तर प्रदेश के हिसाब से समझते हैं. यूपी में विधानसभा की 403 सीट हैं. मान लेते हैं कि 10 सीटों पर चुनाव होने हैं. ऐसे में एक राज्यसभा की सीट जीतने के लिए विधायकों की संख्या- ([403/(10+1)]+1) = 37 वोट
राज्यसभा के लिए एक विधायक एक ही बार वोट कर सकता है. वह प्राथमिकता के आधार पर वोट करता है. मान लीजिए कि चार उम्मीदवार हैं तो उसे बैलेट पेपर पर बताना होगा कि पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर पर उस विधायक की प्राथमिकता में कौन सा उम्मीदवार है. राज्यसभा का चुनाव लड़ने के लिए जमानत राशि 10,000 तय की गई है. अगर वह अनुसूचित जाति-जनजाति से आता है तो 5000 रुपए जमा करना होगा.
राज्य सभा सदस्यों का कार्यकाल कितना होता है? (What is the tenure of Rajya Sabha members)
राज्यसभा में प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 साल का होता है. हर दो साल में एक तिहाई सीटों पर चुनाव होता है. आप देखते होंगे कि हर दो साल में राज्यसभा की करीब 60-70 सीटों पर ही चुनाव होते हैं. ये कुल संख्या का करीब-करीब एक तिहाई है.
अगर कार्यकाल पूरा किए बिना किसी सांसद की मृत्यु हो जाती है, तो उस सीट पर उपचुनाव होता है. इसके बाद जो नया सांसद चुनकर आता है, उसका कार्यकाल 6 साल का नहीं होगा, बल्कि उतना ही होगा, जितना मृत्यु हुए सांसद का कार्यकाल बचा था.
राज्य सभा सदस्यों का चुनाव ओपन होता है?
राज्य सभा सदस्यों का चुनाव ईवीएम नहीं बल्कि बैलेट पेपर से होता है. अब सवाल आता है कि क्या वोटिंग ओपन होती है? जवाब है हां.
सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप नायर बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में 22 अगस्त 2006 के फैसले में कहा था कि यह दावा तर्कसंगत नहीं है कि ओपन वोटिंग से राज्य सभा के निर्वाचन में मतदाता (विधायक) का अभिव्यक्ति का अधिकार प्रभावित होता है. ज्यादा से ज्यादा उसे (विधायक) संबंधित राजनैतिक दल की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
इससे क्रॉस वोटिंग का खतरा नहीं रहता है. अगर कोई विधायक अपनी पार्टी के अलावा दूसरी पार्टी को वोट कर देता है तो विधानसभा में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती हैं. हां पार्टी अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकती है.
राज्य सभा चुनाव के दौरान ओपन वोटिंग कैसे होती है?
ओपन वोटिंग सिस्टम के तहत प्रत्येक राजनैतिक दल अपना एक एजेंट नियुक्त कर सकते हैं. वह एजेंट रिटर्निंग अधिकारी द्वारा मतदान केन्द्रों के अंदर उपलब्ध कराई गई सीटों पर बैठेते हैं. जब कोई विधायक अपने मतपत्र पर निशान लगाता है तो उसके बाद बाद और मत पेटी में डालने से पहले अपने-अपने दल के एजेंट को दिखाना आवश्यक होता है.
अगर कोई विधायक अपना मतपत्र संबंधित एजेंट को न दिखाए तब क्या होगा?
ओपन वोटिंग सिस्टम के हिसाब से अगर कोई विधायक अपना मतपत्र एजेंट को नहीं दिखाता है तो मतदान अधिकारी उस विधायक का मतपत्र वापस ले लेगा. फिर उस मतपत्र के पिछले भाग पर रद्द मतदान पद्दति का उल्लघंन लिखने के बाद उसे एक अलग लिफाफे में रख देगा. अगर एजेंट को दिखाए बिना ही विधायक मतपत्र को मत पेटी में डाल देता है तो ऐसे मतपत्रों की काउंटिंग के समय रिटर्निंग अधिकारी सबसे पहले उस मतपत्र को अलग कर देगा और उसकी काउंटिंग नहीं करेगा.
क्या निर्दलीय विधायक अपना चिह्नित मतपत्र किसी अन्य दल के एजेंट को दिखा सकता है ?
नहीं. निर्दलीय विधायक के लिए यह अपेक्षित है कि वह अपना चिह्नित मतपत्र किसी एजेंट को दिखाए बिना मतपेटी में डाल सकता है.
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