बीते कुछ समय में बीजेपी के कई सहयोगी दल उससे दूर हो गए हैं. ताजा मामला RPI नेता और महाराष्ट्र में NDA के सहयोगी रामदास आठवले का है, जिन्होंने एनडीए में बने रहने के लिए सोमवार को अपनी शर्त बताई है.
बतौर आठवले, वो एनडीए में बने रहेंगे, लेकिन उनकी एक शर्त है. आठवले ने अपनी पार्टी के लिए चुनाव में 3 लोकसभा और 25 विधानसभा सीटों की मांग की है.
महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टियों के नेताओं की अहम बैठक में ये फैसला लिया गया है. आरपीआई अध्यक्ष और केंद्रीय समाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले की अध्यक्षता में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री महादेव जानकर (राष्ट्रीय समाज पक्ष), राज्य मंत्री सदाभाऊं खोत (रयतक्रांति संघटना) और विनायक मेटे (शिवसंग्राम) बैठक में मौजूद थे. इतना ही नहीं इन सभी दलों ने बैठक में ये भी तय किया है कि आगामी चुनाव में बीजेपी के साथ रहेंगे, लेकिन केंद्र और राज्य में अगर सत्ता आती है तो दस फीसदी हिस्सेदारी चाहिए.
आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले राज्यसभा में महाराष्ट्र से सांसद हैं. साथ ही केंद्र की एनडीए सरकार में केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री हैं. आठवले देश के बड़े दलित नेता हैं.
आठवले ने लगाया अनदेखी का आरोप
महाराष्ट्र में हुए बीजेपी-शिवसेना गठबंधन और उनके बीच हुए सीटों के बंटवारे के बाद आठवले ने दोनों पार्टियों पर अनदेखी का आरोप लगाया था. केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री और आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले ने मीडिया से बताया था कि उनकी पार्टी को एनडीए के घटक दल बीजेपी और शिवसेना ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए अपने गठबंधन की घोषणा करते वक्त एक भी सीट नहीं दी.
आठवले ने कहा, ‘‘हम खुश हैं कि शिवसेना और बीजेपी एक साथ आए, लेकिन उन्होंने आरपीआई के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी, यह दुर्भाग्यपूर्ण है.’’
शिवसेना और बीजेपी में बंटी सभी सीटें
जनवरी 2018 में 29 साल पुराने बीजेपी के साथ गठबंधन को तोड़ कर शिवसेना ने 2019 में अकेले लड़ने का प्लान बनाया था. लेकिन हिंदुत्व के एजेंडे पर दोनों के बीच फिर से हुए गठबंधन के बाद बीजेपी-शिवसेना ने आपस में सभी सीटें बांट लीं और सहयोगी पार्टियों को विधानसभा के चुनाव में हिस्सा देने का फैसला किया.
बता दें कि महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
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