वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
आम चुनाव से ठीक पहले मुंबई कांग्रेस एक नई मुसीबत में फंसती दिख रही है. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम के नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं. अब तक तो ये कलह भीतर-भीतर चल रही थी, लेकिन अब मामला थोड़ा आगे बढ़ गया है.
मुंबई कांग्रेस के बड़े नेता सीधे-सीधे संजय निरुपम के नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जताने लगे हैं. मुंबई कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा है कि पार्टी में जो कुछ चल रहा है, उससे वो बिलकुल भी खुश नहीं हैं.
मिलिंद देवड़ा ने निरुपम के नेतृत्व पर उठाए सवाल
ऐसे में सवाल ये है कि एक तरफ राहुल गांधी पूरे देश में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट कर पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं, दूसरी तरफ मुंबई कांग्रेस में अंदरूनी कलह और गुटबाजी के चलते हालात ठीक नहीं दिख रहे हैं.
मिलिंद देवड़ा का कहना है कि संजय निरुपम किसी को साथ लेकर चलना नहीं चाहते, जो पार्टी के लिए चुनाव से पहले घातक है. देवड़ा का दावा है कि इससे पहले मुंबई कांग्रेस में ऐसा कभी नहीं हुआ.
लेकिन संजय निरुपम के दबदबे का आप इस बात से आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि निरुपम को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व के पास पिछले 6 महीनों में कई डेलीगेशन पहुंच चुके हैं, लेकिन उनके विरोधियों की कोई कोशिश अब तक कामयाब होती नहीं दिख रही है.
आखिर क्यों नहीं होती संजय निरुपम पर कार्रवाई
ऐसे में सवाल ये भी है कि आखिर संजय निरुपम पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? मुंबई कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के विरोध के बाद भी आलाकमान कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है? आखिर क्यों राहुल गांधी और राष्ट्रीय नेतृत्व निरुपम के पीछे खड़े दिखाई देते हैं.
इसके पीछे की वजह है निरुपम का लगातार मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष के नाते विपक्ष में रहकर संघर्ष करना. पिछले 4 साल से संजय निरुपम मुंबई में कांग्रेस का चेहरा बनकर उभरे हैं, चाहे महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को घेरना हो या मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर आंदोलन.
विधानसभा में कांग्रेस के नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल, सीएम देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ ज्यादा आक्रामक नहीं दिखते, इसके पीछे वजह चाहे जो भी हो.
ऐसे में संजय निरुपम मुख्यमंत्री फडणवीस के खिलाफ हमला बोलने से नहीं चूकते. फडणवीस पर सिडको घोटाले का आरोप संजय निरुपम ने लगाया, जिसके बाद इस मामले में सरकार को जांच शुरू करनी पड़ी.
राहुल गांधी ने राफेल के मामले में मोदी सरकार और अनिल अंबानी को दिल्ली में घेरा, तो मुंबई की सड़कों पर निरुपम ने जोरदार मोर्चा संभाला. मोदी सरकार पर हमला भी बोला.
इतना ही नहीं, पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दामों को लेकर विपक्ष के भारत बंद को मुंबई में सफल बनाना हो या कोई दूसरा आंदोलन, संजय निरुपम ने बड़ी ताकत से इसे सफल बनाया.
चुनाव आते ही दिखने लगे ये चेहरे
ध्यान देने वाली बात ये है कि इन सब आंदोलनों में निरुपम का साथ देने सड़क पर कोई बड़ा कांग्रेसी चेहरा नहीं दिखा, चाहे वो मिलिंद देवड़ा हों, कृपाशंकर सिंह हों या प्रिया दत्त. लेकिन अब चुनाव करीब हैं, तो ये नेता धीरे-धीरे दिखने लगे हैं. मीडिया में बयान देना हो या कम से कम नाराजगी हो, कुछ न कुछ बोल ही दे रहे हैं.
संजय निरुपम पर हमले का आधार बीएमसी चुनाव में सफलता नहीं मिलने को भी बताया जा रहा है. दरअसल टिकट बंटवारे में निरुपम की ही चली थी, पार्टी ने भी उन पर पूरा भरोसा जताया था.
लेकिन हालात ये बता रहे हैं कि विरोधी चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, निरुपम को हटाना विरोधियों के लिए मुश्किल होगा. लेकिन इसका बुरा असर पार्टी पर होगा, क्योंकि विरोधी कांग्रेस की अंदरूनी कलह को मुद्दा जरूर बनाएंगे.
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