एनडीए के नाराज सहयोगियों को मनाने निकले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के डैमेज कंट्रोल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी बीजेपी को कुनबा संभालने की सलाह दी है. अपने मुखपत्र ‘पांचजन्य’ के ताजा अंक में संघ ने साथियों के रूठने-छिटकने को बीजेपी के लिए चिंता की बात बताया है.
‘कैराना के बाद’
‘कैराना के बाद’ शीर्षक से छपे पांचजन्य के संपादकीय में लिखा गया है:
भाजपा के लिए चिंता की बात है उसके साथियों का रुठना-छिटकना. हालांकि दोनों जगह परिस्थिति और समीकरणों में पर्याप्त भिन्नता है, लेकिन आंध्र प्रदेश के बाद महाराष्ट्र वो दूसरा राज्य है जहां एनडीए के मित्र-घटक त्यौरियां चढ़ाएं हैं.पांचजन्य
संपादकीय में आंध्र प्रदेश का जिक्र तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के संदर्भ में है और महाराष्ट्र का जिक्र शिवसेना के संदर्भ में. सरकार में शामिल रही टीडीपी ने मार्च 2018 में एनडीए का साथ छोड़ दिया था. उसके बाद मई, 2018 में हुए महाराष्ट्र के पालघर लोकसभा उपचुनाव में पुरानी सहयोगी शिवसेना ने बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारा. हालांकि बीजेपी वो चुनाव जीत गई लेकिन शिवसेना के तीखे तेवर लगातार जारी हैं.
ऐसे वक्त में संघ का तकाजा काफी अर्थपूर्ण हो जाता है. संघ भले ही खुद को राजनीति से दूर बताता रहे लेकिन बीजेपी के थिंक टैंक में संघ की मजबूत मौजूदगी की बात किसी से छिपी नहीं है.
हालांकि लेख में उत्तर प्रदेश के कैराना उपचुनाव में बीजेपी की हार को हलके में लेने की बात कही गई है लेकिन लेख का शीर्षक दिखाता है कि यूपी में हुई लगातार तीसरी लोकसभा सीट गंवाने से संघ चिंतित भी है और खफा भी.
अमित शाह का डैमेज-कंट्रोल
शायद यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इन दिनों सहयोगियों के साथ बिगड़े हे कील-कांटे ठीक करने में जुटे हैं. संपर्क से समर्थन कार्यक्रम के तहत मुंबई पहुंचे अमित शाह 6 जून को शिवसेना सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने वाले हैं. इस मुलाकात पर सबकी नजर है.
शाह-उद्धव की मुलाकात तय होने के बाद भी सेना के मुखपत्र ‘सामना’ में बीजेपी के ‘संपर्क से समर्थन’ अभियान की खिल्ली उड़ाई गई है. लेकिन इसके बावजूद अमित शाह का उद्धव ठाकरे से मिलना दिखाता है कि बीजेपी बैकफुट पर है.
7 जून को शाह चंडीगढ़ में अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से मिलने वाले हैं. हाल में अकाली दल ने भी बीजेपी पर सहयोगियों की अनदेखी का आरोप लगाया था.
इससे पहले 3 जून को अमित शाह नाराजगी दिखा रहे लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान से मिले थे.
उपचुनावों में लगातार जारी बीजेपी के फ्लॉप शो और उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में पड़ी विपक्षी महागठबंधन की बुनियाद से बीजेपी खेमे में खलबली है, ‘मोदी-मैजिक’ का असर पहले जैसा नहीं दिखता और हालिया सर्वे एनडीए सरकार की घटती लोकप्रियता की तरफ इशारा कर रहे हैं. ऐसे में ‘बिग ब्रदर’ यानी संघ की फटकार बीजेपी हेडक्वार्टर में हलचल जरूर मचाएगी.
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