कांग्रेस नेता सैफ़ुद्दीन सोज पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के एक विचार के समर्थन की बात से पलट गए हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर की 'आज़ादी' संभव नहीं है और इसे भारतीय संविधान के तहत अपने साथ समाहित करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर भारत को पहचानने की प्रयोगशाला है और हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि बातचीत की एकमात्र उम्मीद है.
अपनी पुस्तक कश्मीर: गिलम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल' में विमोचन के मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा
कश्मीर मुद्दे के समाधान के दो मौके चूक गए. पहला मौका अटल बिहारी वाजपेयी के समय और दूसरा मौका मनमोहन सिंह के समय था. मैं मुशर्रफ के विचार का समर्थन नहीं करता. यह सब मीडिया ने कर दिया.सैफुद्दीन सोज, नेता- कांग्रेस
‘मुशर्रफ ने कहा था, कश्मीर की आजादी संभव नहीं’
मुशर्रफ ने खुद अपने जनरल से कहा था कि कश्मीर की आजादी संभव नहीं. दरअसल, हाल ही में सोज की इस पुस्तक के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्होंने परवेज मुशर्रफ के उस बयान का भी समर्थन किया है कि कश्मीर के लोग भारत या पाक के साथ जाने की अपेक्षा अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के एक बयान का हवाला देते सोज ने हुए कहा कि आज़ादी संभव नहीं, लेकिन भारतीय संविधान के तहत कश्मीर को समाहित (अकोमोडेट) करना होगा. उन्होंने आज फिर कहा, यह मेरी पुस्तक है, इसका कांग्रेस से कोई लेनादेना नहीं है. इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं. इसमें मैने तथ्य सामने रखे हैं. मैंने शोध किया. बहुत अच्छी तरह शोध किया गया है. कांग्रेस को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
अरुण ,शौरी ने कहा, मोदी सरकार का सर्जिकल स्ट्राइक ‘फर्जीकल’ स्ट्राइक था
सोज ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल दोनों भारत के महान सपूत थे, लेकिन दोनों के रुख में फर्क था. दोनों भारत को मजबूत बनाना चाहते थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक को 'फ़र्जीकल स्ट्राइक' करार देते हुए आरोप लगाया कि चीन, पाकिस्तान और बैंक को लेकर मोदी सरकार के पास कोई नीति नहीं है. इस अवसर पर शौरी ने कहा कि सिर्फ हिन्दू मुसलमान के बीच दूरी पैदा करके राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश की जा रही है.
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