ADVERTISEMENTREMOVE AD

यूपी में प्रियंका गांधी की आंधी, BJP के खिलाफ एकजुट हो विपक्षः संजय राउत

संजय राउत ने कहा है कि हिंदुत्व पर केवल बीजेपी का कॉपी राइट नहीं है.

छोटा
मध्यम
बड़ा

शिवसेना ने महाराष्ट्र के बाहर पहली लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है. दादरा-नगर हवेली चुनाव क्षेत्र से सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के बाद उनकी पत्नी कमलाबेन डेलकर ने शिवसेना के समर्थन से जीत हासिल की है. जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का विस्तार करने के लिए शिवसेना (Shiv Sena) के हौसले बुलंद है. इसी जीत के सूत्रधार सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने शिवसेना के विस्तार के बारे में क्विंट हिंदी से बात की है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1. दादरा-नगर हवेली की जीत शिवसेना के लिए क्या मायने रखती है?

शिवसेना 50 सालों से महाराष्ट्र और देश की राजनीति में है. लेकिन महाराष्ट्र के बाहर शिवसेना को जीत हासिल नहीं हुई थी. हम उस जीत की तलाश में थे. दादरा-नगर हवेली ने हमारे लिए वो जीत का दरवाजा खोल दिया है. ये हमारी पार्टी की जीत है.

2. महाराष्ट्र के बाहर जीत हासिल करने में कुछ ज्यादा समय नहीं लग गया?

हम तीस सालों तक तो मुंबई, ठाणे, पुणे के बाहर नहीं निकले. इसके बाद बालासाहब ने महाराष्ट्र में संगठन का जाल फैलाना शुरू किया. लेकिन बाबरी ढहने के बाद शिवसेना और बालासाहब की देश मे लहर उठी. उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली में लोग शिवसेना का झंडा उठाना चाहते थे. लेकिन देश में हम बीजेपी के साथ गठबंधन में थे. बालासाहब बड़े दिल के इंसान थे. वो कहते थे कि हिंदुओं के मतों का बंटवारा हो ऐसा कोई कदम हम नहीं उठाएंगे.

इसीलिए हम अपने पार्टी का विस्तार नहीं कर पाए और बीजेपी हमारी मदद से बढ़ती गई. लेकिन अब हमने काम फिर से शुरू किया है. हम महाराष्ट्र के बाहर पार्टी का विस्तार गंभीरता से करना चाहते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीजेपी हिंदुत्व पर कॉपीराइट जताती है, शिवसेना को सेक्युलर कहा जा रहा है?

बीजेपी के कहने पर राजनीति नहीं चलेगी. अगर बीजेपी इतनी प्रखर हिंदुत्ववादी है तो हिमाचल, पश्चिम बंगाल और दादरा-नगर हवेली में चुनाव क्यों हार गई? हम भी प्रखर हिंदुत्ववादी हैं और रहेंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उपचुनाव के नतीजे मौजूदा राज्य सरकार की जीत दर्शाते हैं या फिर रीजनल पार्टी की बढ़त?

ये चुनाव नतीजे बीजेपी की हार दर्शाते हैं. लोग बीजेपी से ऊब गए हैं. रोज बदलने वाली भूमिका और जनता के प्रति नफरत साफ नजर आ रही है. महंगाई के ऊपर कोई बात नहीं कर रहा. हारने के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री कहते हैं कि महंगाई की वजह से हारे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

5. लक्ष्य दिल्ली का है, लेकिन दादरा-नगर हवेली के बगल में गुजरात भी आता है.

गुजरात में भी काम चल रहा है. गुजरात के लोग भी चाहते हैं कि शिवसेना भगवा झंडा लेकर वहां आए. गुजरात का रास्ता भी दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव से जाता है. हमने वो रास्ता खोल दिया है. वहां कितनी सीटे लड़नी हैं, इसपर चर्चा शुरू है. एनसीपी भी गुजरात मे चुनाव लड़ती है. शरद पवार से भी बात करेंगे. गठबंधन हुआ तो ठीक नहीं तो खुद के दम पर शिवसेना चुनाव लड़ेगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

6. राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने में शिवसेना कि क्या भूमिका रहेगी?

देश की विपक्षी पार्टियां बीजेपी की घोर विरोधी हैं. यूपी में प्रियंका गांधी की आंधी चल रही है. वहां कांग्रेस फिर से जिंदा हो रही है. वहां के प्रतिद्वंद्वी मायावती और अखिलेश को बीजेपी से नहीं बल्कि कांग्रेस से डर लग रहा है. इसीलिए सभी विरोधी पार्टियों को एक साथ बैठ कर निर्णय लेना चाहिए.

जिस तरह 1978 में कांग्रेस के खिलाफ सभी पॉलिटिकल पार्टियां को इकट्ठा कर जनता पार्टी या वी पी सिंह के नेतृत्व में जो जनता दल बना था. अगर ये नहीं करोगे तो देश मे तानाशाही और लोकतंत्र की हत्या देखनी पड़ेगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

7. 2024 की लोकसभा चुनाव में शिवसेना UPA का हिस्सा बनते दिखेगी या किसी और महागठबंधन में शामिल होगी?

फिलहाल तो हम NDA का हिस्सा नहीं हैं और दूर-दूर तक वापस होने की संभावना भी नहीं है. महाराष्ट्र में हमारे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ठीक-ठाक सरकार चल रही है. इसे तोड़-मरोड़ के नई व्यवस्था बनाने का सवाल पैदा नही होता.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

8. क्या महाराष्ट्र की राजनीति काफी निजी स्तर पर चली गई है?

महाराष्ट्र में कभी ये परंपरा नहीं रही. एक-दूसरे के परिवार तक बदले की राजनीति कभी नहीं पहुंची. लेकिन पिछले 2-4 साल से ये हो रहा है. इसके लिए बीजेपी की घटिया सोच जिम्मेदार है.

महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार नहीं है. इसलिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर महा विकास अघाड़ी सरकार के मंत्री और नेताओं के बीवी-बच्चों के खिलाफ जो मुहिम शुरू है, इसमें नैतिकता का आधार नही हैं. इसीलिए उद्धव ठाकरे हमेशा से आह्वान करते आ रहे हैं कि इस तानाशाही से मुक्ति पानी है तो आपसी मतभेद भुलाकर हमें एक साथ आना होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×