झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों को शिवसेना ने बीजेपी के लिए 'धक्कादायक' बताया है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है, ''बीजेपी ने एक और राज्य गंवा दिया है. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सहित पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल को वहां लगाने के बावजूद बीजेपी झारखंड में नहीं जीत पाई.''
सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है, ‘’बीजेपी के नेता कांग्रेस-मुक्त हिंदुस्तान की बात कर रहे थे, लेकिन अब कई राज्य बीजेपी-मुक्त हो गए हैं. मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्य बीजेपी पहले ही गंवा चुकी है.’’
इसके आगे शिवसेना ने कहा है, ''मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्य बीजेपी पहले ही गंवा चुकी है. एक महीने पहले हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए. वहां कांग्रेस ने जोरदार जीत दर्ज की. बीजेपी की सत्ता वहां से भी लगभग खत्म हो चुकी थी, लेकिन जिस दुष्यंत सिंह के विरोध में चुनाव लड़ा, उसी दुष्यंत का सहारा लेकर, उन्हें उपमुख्यमंत्री पद देकर बीजेपी ने जैसे तैसे सत्ता बचाई. महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी सरकार शिवसेना के नेतृत्व में बनी.''
शिवसेना ने कहा है कि कई राज्यों में बीजेपी की 'घुड़दौड़' का कमजोर होना विचार करने वाली स्थिति है. पार्टी ने कहा है कि त्रिपुरा और मिजोरम में बीजेपी के झंडे लहराए, लेकिन आज ऐसी स्थिति है कि त्रिपुरा में चुनाव कराए जाएं तो जनता बीजेपी की सत्ता उखाड़ फेंकेगी.
सामना के संपादकीय में लिखा गया है, ‘’झारखंड में श्री मोदी और श्री शाह ने सभाएं कीं. मोदी के नाम पर वोट मांगे. झारखंड में गृह मंत्री अमित शाह की सभाओं के भाषणों को जांचा जाए तो ये साफ होता है कि वहां सीधे-सीधे हिंदू-मुसलमान में मतभेद कराने की कोशिश थी.’’
शिवसेना ने कहा है कि बीजेपी को उम्मीद थी कि नागरिकता संशोधन कानून की वजह से उसके हिंदू वोट बढ़ेंगे, लेकिन झारखंड के श्रमिकों और आदिवासियों ने प्रलोभन को नकार दिया.
सामना के संपीदकीय में लिखा गया है, ''लोग अगर ठान लें तो वे सत्ता, दबाव और आर्थिक आतंकवाद की परवाह नहीं करते. अपने मन के मुताबिक बदलाव लाकर रहते हैं. महाराष्ट्र में यही हुआ. झारखंड ने भी इस बदलाव का निडरता से सामना किया.'' इस संपादकीय के आखिर में लिखा गया है, ''बीजेपी एक के बाद एक राज्य गंवाती जा रही है. अब झारखंड भी गंवा दिया, ऐसा क्यों? इस पर विचार करने की उनकी मानसिकता नहीं है. जनता को हल्के में लेंगे तो और क्या होगा.''
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