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शिवसेना का फडणवीस पर निशाना, मोदी-उद्धव को बताया भाई-भाई

सामना में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते

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महाराष्ट्र में बीजेपी से अलग होकर सरकार बनाने वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम उद्धव ठाकरे को भाई-भाई बताया है. सामना के संपादकीय में लिखा गया है, ''महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी-शिवसेना में अनबन है, लेकिन नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है. इसलिए प्रधानमंत्री के तौर पर महाराष्ट्र के छोटे भाई का साथ देने की जिम्मेदारी श्री मोदी की है.''

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सामना में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते. 

शिवसेना के मुखपत्र में लिखा गया है, ‘’महाराष्ट्र की जनता ने जो निर्णय दिया है, दिल्ली उसका सम्मान करे और सरकार की स्थिरता ना डगमगाए, इसका ख्याल रखे.’’

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को निशाने पर लेते हुए सामना में लिखा गया है, ''5 साल में राज्य पर 5 लाख करोड़ का कर्ज लादकर फडणवीस सरकार चली गई. इसलिए नए मुख्यमंत्री ने जो संकल्प लिया है, उस पर तेजी से लेकिन सावधानीपूर्वक कदम रखना होगा...प्रधानमंत्री ने नई सरकार और मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दी हैं. हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र का विकास तीव्र गति से होगा, इसके लिए केंद्र की नीति सहयोग वाली होनी चाहिए.''

संघर्ष और लड़ाई को जीवन का हिस्सा बताते हुए सामना में लिखा गया है, ‘’महाराष्ट्र के गठन के लिए मराठी जनता दिल्ली से भिड़ी, संघर्ष किया. संघर्ष और लड़ाई हमारे जीवन का हिस्सा हैं. दिल्ली देश की राजधानी भले ही है, लेकिन महाराष्ट्र दिल्लीश्वरों का गुलाम नहीं है और ये तेवर दिखाने वाले बालासाहेब ठाकरे के सुपुत्र आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं. इसलिए महाराष्ट्र का सीना तना रहेगा, ऐसा विश्वास करने में दिक्कत नहीं है.’’

सामना के संपादकीय में लिखा गया है, ‘’महाराष्ट्र दिल्ली को सबसे ज्यादा पैसा देता है. देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है. देश को सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई शहर देता है. देश की सीमा पर महाराष्ट्र के जवान शहीद हो रहे हैं...इसलिए अब महाराष्ट्र से अन्याय नहीं होगा.’’

इसके अलावा संपादकीय में लिखा गया है, ''दिल्ली के दरबार में महाराष्ट्र चौथी-पांचवीं कतार में खड़ा नहीं रहेगा, बल्कि आगे रहकर ही काम करेगा, परंपरा यही रही है. इसी परंपरा का भगवा ध्वज महाराष्ट्र की विधानसभा और मंत्रालय पर लहराया है.'' संपादकीय के आखिरी हिस्से में लिखा गया है कि भगवा ध्वज से दुश्मनी मोल मत लो, दुश्मनी करोगे तो खुद का ही नुकसान करोगे.

ये भी देखें: महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी: नेशनल खिलाड़ी या अटकेगी गाड़ी?

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