उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में सियासतदानों की मौजूदगी से राजनीति खुद-ब-खुद गरमाने लगती है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को कुंभ में पहुंचकर वाल्मीकि घाट पर दलित साधु-संतों के साथ क्षिप्रा नदी में स्नान किया.
दलितों के साथ अमित शाह के स्नान करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. उनके विरोधी कह रहे हैं कि बीजेपी नेता दलित प्रेम का दिखावा कर रहे हैं. दूसरी ओर बीजेपी इसे सामाजिक समरसता कायम करने की कोशिश बता रही है.
बीजेपी की ओर से इस तरह का खास कार्यक्रम बुधवार को आयोजित किया गया. इस दौरान वहां अचानक चहल-पहल तेज होती दिखी.
BJP ने कार्यक्रम को ‘संत समागम’ में बदला
अमित शाह के इस स्नान को राजनीति के नजरिए से देखा जा रहा है. 6 मई को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने इस आयोजन का विरोध किया था. उनका आरोप था कि इस आयोजन के जरिए साधु-संतों को जाति के आधार पर बांटने की कोशिश की जा रही है, जबकि बीजेपी की ओर से इसे समाज में भेदभाव को खत्म करने का प्रयास बताया गया.
संकेत है कि विवादों के कारण ही ऐन वक्त पर सामाजिक समरसता कार्यक्रम को ‘संत समागम’ में बदल दिया गया. यही कारण है कि सभी संत इस मंच पर आए.
वोट बैंक की चिंता!
जानकारों के अनुसार, रोहित वेमुला की घटना के बाद कहीं न कहीं बीजेपी को इस बात का डर सता रहा है कि दलित वोट बैंक उनके विरोधी खेमे में न चला जाए. ऐसे में शाह ने दलित धर्मगुरुओं के साथ क्षिप्रा में स्नान करके यह संदेश देने की कोशिश की कि बीजेपी भी दलितों के उतनी ही साथ है, जितनी दूसरी पार्टियां.
कार्यक्रम में हुए बदलाव
अमित शाह को रामघाट तक शोभायात्रा में भी शामिल होना था. सुरक्षा मामलों को लेकर मेला प्रशासन ने इसे रद्द करने का अनुरोध किया था. शोभायात्रा के रद्द होने के बाद शाह के सारे कार्यक्रम वाल्मीकि धाम में ही हुए. बीजेपी के इस समागम के मंच पर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी सहित अनेक अखाड़ों के साधु-संत मौजूद रहे.
अमित शाह बुधवार सुबह 9.30 बजे नियमित उड़ान से देवी अहिल्याबाई होल्कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (इंदौर) पहुंचे. राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के अलावा अन्य नेताओं ने उनकी अगवानी की.
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