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करुणानिधि की विरासत पर बड़े बेटे का दावा,स्टालिन से भिड़ गए अलगिरी

अलागिरी सौतैले भाई स्टालिन को चुनौती दे सकते हैं 

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डीएमके चीफ एम करुणानिधि के निधन के एक सप्ताह के भीतर ही उनके दोनों बेटे एम के अलागिरी और एम के स्टालिन के बीच नए सिरे से उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गई है.करुणानिधि की राजनीतिक विरासत पर कब्जे को लेकर स्टालिन और अलागिरी में पहले से ही लड़ाई चल रही है और दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं है. अब एक बार दोनों ने अपने-अपने तरीके से यह दावा किया है कि करुणानिधि के राजनीतिक उत्तराधिकारी वहीं हैं.

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अलागिरी ने सोमवार को मरीना बीच में करुणानिधि के स्मारक के दौरे के दौरान दावा किया कि कलाईनर की राजनीतिकि विरासत के असली उत्तराधिकारी वहीं हैं. अलागिरी ने कहा

मैं यहां अपने पिता से मिल कर अपने जज्बात जाहिर करने के आया हूं.करुणानिधि के सच्चे वफादार सिर्फ मेरे साथ हैं.
एम के अलागिरी, करुणानिधि के बड़े बेटे 

अलागिरी ने यह भी कहा कि वह डीएमके के साथ नहीं है. वह समांतर राजनीतिक पार्टी बनाने पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं डीएमके के साथ राजनीतिक उत्तराधिकार की लड़ाई में नहीं फंसना चाहता. फिलहाल इतना कह सकता हूं कि मैं डीएमके साथ नहीं हूं. इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता’. अलागिरी का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब यह चर्चा गर्म थी वह पार्टी में दोबारा लौट सकते हैं. अलागिरी को 2014 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में डीएमके से बर्खास्त कर दिया गया था.

डीएमके की कार्यकारिणी की बैठक मंगलवार को होने वाली है. इसमें पार्टी के कुछ नेताओं को हटाने की चर्चा हो रही है. कार्यकारिणी की बैठक में स्टालिन को पार्टी अध्यक्ष बनाने का भी ऐलान हो सकता है.

पार्टी को अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि अलागिरी और स्टालिन में समझौता इस वक्त संभव नहीं है क्योंकि डीएमके 2019 के चुनाव की तैयारियों पर फोकस करना चाहती है.

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