3 मार्च को जब दोपहर होते-होते त्रिपुरा चुनाव के नतीजे भगवा रंग में रंग चुके थे तो 12 बजकर 40 मिनट पर एक ट्वीट हुआ. लाल मुक्त, केसरिया युक्त.
ये ट्वीट एक ऐसे शख्स के हैंडल से था जो कभी सुर्खियों में नहीं रहा लेकिन अपनी मेहनत से जिसने, लेफ्ट के गढ़ त्रिपुरा में बीजेपी को शून्य से शिखर पर पहुंचा दिया. हम बात कर रहे हैं सुनील देवधर की.
लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे देवधर को करीब तीन साल पहले त्रिपुरा की जिम्मेदारी मिली थी. उन्होंने जनता से सीधे संवाद के लिए स्थानीय भाषाएं सीखीं. जिससे की वो यहां से जुड़ सकें. मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड में खासी और गारो जैसी जनजाति के लोगों से वो उनकी ही भाषा में बात करते हैं.
खुद कभी कोई चुनाव ना लड़ने वाले सुनील देवधर ने अपनी महीन प्लानिंग और जीतोड़ कोशिशों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की बड़ी सियासी हसरत को पूरा कर दिया. न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपे इंटरव्यू में देवधर कहते हैं:
लोग सीपीएम सरकार से मुक्ति चाहते थे लेकिन मजबूत विपक्ष की कमी उन्हें परेशान कर रही थी. 2013 के चुनाव में 45 फीसदी लोगों ने बदलाव के लिए वोट डाला. प्रभारी के तौर पर यहां आने के बाद मैंने 2013 और 2014 के चुनावों का अध्ययन किया. साफ था कि लोग बदलाव चाहते हैं लेकिन उन्हें कांग्रेस पर भरोसा नहीं है.सुनील देवधर, त्रिपुरा प्रभारी, बीजेपी
मुझे मुख्यमंत्री माणिक सरकार को निशाने पर लेने से मना किया गया क्योंकि वो अच्छे आदमी हैं. तो पहले छह महीने मैंने वही किया. लेकिन उसके बाद जब मैंने उनके खिलाफ बोलना शुरु किया तो लोगों को वो पसंद आया. उन्हें लगा कि बीजेपी के जरिये वो लेफ्ट फ्रंट सरकार के कुशासन के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं.सुनील देवधर, त्रिपुरा प्रभारी, बीजेपी
महाराष्ट्र से आकर त्रिपुरा जीता
सुनील देवधर के मुताबिक चुनाव प्रचार के दौरान लेफ्ट ने उन्हें ‘महाराष्ट्र से आया एक सूबेदार’ यानी बाहरी साबित करने की कोशिश की. लेकिन लोगों ने उसकी परवाह नहीं की. देवधर के मुताबिक बीजीपी के ‘चलो पलटाई’ (चलो बदलें) नारे को लोगों ने खूब पसंद किया.
बातचीत के दौरान हम नेतृत्व क्षमता वाले लोगों की पहचान करते थे और फिर उन्हें जिम्मेदारियां सौंपते थे. उसके बाद उन्हें स्टेट-लेवल बैठकों में बुलाकर ट्रेनिंग देते थे. आज पूरे त्रिपुरा में आपको जहां भी सीपीएम का झंडा दिखेगा उसकी टक्कर में बीजेपी का झंडा भी होगा.सुनील देवधर, त्रिपुरा प्रभारी, बीजेपी
‘मोदी दूत’ योजना
देवधर के दिमाग की उपज ‘मोदी दूत’ योजना ने लोगों को बीजेपी के पक्ष में जोड़ने और पार्टी का संदेश फैलाने में जबरदस्त मदद की. देवधर के मुताबिक :
25-30 साल के युवाओं का समूह हर सुबह ‘मोदी टी-शर्ट’ डालकर शटल ट्रेनों में सवार हो जाता था और लोगों में बीजेपी के पर्चे बांटने के अलावा सर्वे के लिए उनसे एक फॉर्म भरवाती थी. कॉल सेंटर के जरिये हर दिन 500-700 लोगों से संपर्क करते थे और उनकी समस्याएं दूर करते थे.सुनील देवधर, त्रिपुरा प्रभारी, बीजेपी
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तीन साल पहले सुनील देवधर को त्रिपुरा का प्रभार सौंपते हुए उन्हें पार्टी की जड़ें मजबूत करने की जिम्मेदारी दी थी.
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‘लाल किले’ पर कमल खिलाने वाले देवधर खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर बताते हुए हैं :
लोगों को हमसे उम्मीदें हैं और मेरी चुनौतियां बढ़ गई हैं. हालांकि रातोंरात हालात बदलना किसी सरकार के लिए मुमकिन नहीं है. मैं सरकार चलाने वाला व्यक्त नहीं हूं लेकिन मैं सुनिश्चित करुंगा कि हमारी सरकार लोगों के अच्छे के लिए काम करे. मैं त्रिपुरा छोड़ने नहीं जा रहा. अगले 2-3 साल यहीं रहूंगा और तय करुंगा कि लोगों से किए वादे पूरे हों.सुनील देवधर, त्रिपुरा प्रभारी, बीजेपी
(सुनील देवधर के इंटरव्यू के अंशों का अनुवाद न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अखबार द संडे स्टैंडर्ड से लिया गया है.)
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