अभी हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट के सिटिंग जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने अपने पद से इस्तीफा दिया था और बीजेपी का दामन थाम लिया था. अब एक बार फिर कुछ ऐसा ही मामला तमिलनाडु में देखने को मिल रहा है. 18 मार्च को तेलंगाना के राज्यपाल पद से तमिलिसाई सौंदर्यराजन (Tamilisai Soundararajan) ने इस्तीफा दिया जो 19 मार्च को राष्ट्रपति ने स्वीकार किया और अगले ही दिन 20 मार्च को बीजेपी में शामिल हो गईं.
उन्होंने तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष और केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी, तमिलनाडु के बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलई की मौजूदगी में बीजेपी ज्वॉइन की.
हालांकि तमिलिसाई सौंदर्यराजन का इतिहास बताता है कि वो पहले भी बीजेपी में रह चुकी हैं. यही नहीं वो दो बार विधानसभा और एक बार बीजेपी की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं.
कौन हैं तमिलिसाई सौंदर्यराजन?
तमिलिसाई सौंदर्यराजन पेशे से डॉक्टर हैं. सौंदर्यराजन कांग्रेस के दिग्गज नेता कुमारी आनंथन की बेटी हैं. अपने पिता के खिलाफ जाकर उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन की थी. साल 2006 और 2011 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा. इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन वो कोई चुनाव नहीं जीत सकीं. 2019 में बीजेपी से इस्तीफा देकर उन्होंने तेलंगाना की राज्यपाल का पद संभाला इससे पहले वो बीजेपी में अलग-अलग पदभार सम्भालती रहीं.
साल 2019 का चुनाव उन्होंने थूथुकुडी से लड़ा था. जहां DMK की कनिमोझी करुणानिधि ने इन्हें शिकस्त दी थी. DMK ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है इस बार भी ये सीट के. करुणानिधि की बेटी कनिमोझी के हिस्से आई है.
उनके लगातार चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी में उनकी एक मजबूत छवि है. बीजेपी सत्ता में आने के बाद से लगातार अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को गवर्नर बनाती रही है. इससे पहले बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में आनंदी बेन पटेल और जम्मू-कश्मीर में मनोज सिन्हा को राज्यपाल बनाया था. दोनों ही बीजेपी की एक्टिव पॉलिटिक्स का हिस्सा रहे हैं.
तमिलिसाई सौंदर्यराजन का राजनीतिक करियर
1999 में दक्षिण चेन्नई जिला मेडिकल विंग की सचिव
2001 में राज्य मेडिकल विंग की महासचिव
2005 में अखिल भारतीय सह-संयोजक (दक्षिणी राज्यों के लिए मेडिकल विंग)
2007 में राज्य महासचिव
2010 में राज्य उपाध्यक्ष
2013 में उन्हें राष्ट्रीय सचिव के पद पर प्रमोट किया गया
बीजेपी बार-बार हारने के बाद भी क्यों देगी टिकट ?
क्विंट के पॉलिटिकल एडिटर आदित्य मेनन के अनुसार "बीजेपी के पास तमिलनाडु और तेलंगाना में चेहरों की कमी है. इसी के चलते उसने ऐसा कदम उठाया है. तेलंगाना और तमिलनाडु में बीजेपी अकेले चुनाव लड़ रही है ऐसे में उन्हें बड़े चेहरों की जरूरत है और लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहने से तामिलिसाई सौन्दर्यराजन को टिकट देना बीजेपी के लिये फायदे का सौदा है."
फ्रंटलाइन के सीनियर एसोसिएट एडिटर R.K. राधकृष्णन ने क्विंट हिन्दी से बात करते हुए कहा,
"बीजेपी वापस से ज्वॉइन करना तामिलिसाई सौन्दर्यराजन के पॉलिटिकल कैरियर के लिए बेहद जरूरी था अगर वो ऐसा ना करती तो राज्यपाल का टेन्योर खत्म होने के बाद बीजेपी उन्हें साइडलाइन कर सकती थी. बीजेपी इन्हें तमिलनाडु की किसी सीट से टिकट दे सकती है."
बीजेपी के उनपर बार-बार भरोसा जताने के पीछे क्या उनकी जातीय पहचान भी एक वजह है? ये पूछे जाने पर कि R.K. राधकृष्णन ने बताया कि "ये कोई बड़ी वजह नहीं है. वो एक कांग्रेस फैमिली से आती हैं और लगातार बीजेपी से जुड़ी रहीं हैं."
तेलंगाना, तमिलनाडु, और पुडुचेरी में बीजेपी की स्थिति
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आश्चर्यजनक रूप से तेलंगाना में 4 सीटें जीती थी. तेलंगाना उत्तर की तीनों सीटें बीजेपी ने अपने नाम की थी. वहीं अगर बात करें तमिलनाडु (Tamil Nadu) की तो बीजेपी को 39 में से केवल 1 सीट मिली थी. पुडुचेरी में भी बीजेपी के खाते में कुछ नहीं आया.
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी साउथ में अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी है. अकेले 2024 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 बार तमिलनाडु गये. मोदी जनवरी में 2 बार, 2 बार फरवरी में और 2 बार मार्च में तमिलनाडु जा चुके हैं. ये तो साफ है बीजेपी साउथ में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
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