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कुंभ में विज्ञापनों के जरिए अपनी ब्रैंडिंग कर रहे CM शिवराज!

उज्जैन में 22 अप्रैल से शुरू हुआ सिंहस्थ कुंभ 21 मई तक चलेगा

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मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहा सदी का दूसरा सिंहस्थ कुंभ राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ब्रैंडिंग का जरिया बन गया है. तभी तो सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले विज्ञापनों से लेकर आमंत्रणों में शिवराज की तस्वीरें छाई हुई हैं.

आलम तो यह है कि कई विज्ञापनों में महाकाल से ज्यादा शिवराज की तस्वीरें नजर आ रही है.

उज्जैन में 22 अप्रैल से इस शताब्दी का दूसरा सिंहस्थ कुंभ शुरू हुआ है. यह समागम 21 मई तक चलेगा.

इस दौरान कुल तीन शाही स्नान तय हैं.

1. पहला शाही स्नान 22 अप्रैल को हुआ

2. अक्षय तृतीया पर 9 मई को दूसरा शाही स्नान

3. समापन 21 मई को शाही स्नान से होगा

वैसे तो राज्य का सरकारी महकमा कोई भी मौका नहीं छोड़ता, मगर सिंहस्थ कुंभ में तो सारी हदें पार हो गई हैं. एक तरफ मीडिया में विज्ञापनों का बोलबाला है, तो दूसरी ओर उज्जैन भी चौहान की तस्वीरों और पोस्टरों से भरा पड़ा है. इतना ही नहीं, कई ट्रेनें तो सिंहस्थ के विज्ञापनों से रंगी पड़ी हैं और इन सभी में शिवराज की तस्वीर जरूर है.

इन्होंने उठाए हैं सवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नाता रखने वाले भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने इस प्रचार की होड़ पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सिंहस्थ धार्मिक और आध्यात्मिक समागम है और इस पर भी राजनीतिक कब्जे की कोशिश हो रही है. यहां नेताओं की इतनी तस्वीरे लगाई गई हैं, जिसे देखकर ऐसे लगता है, मानो यहां कोई राजनीतिक आयोजन चल रहा हो.

वरिष्ठ और बुजुर्ग पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया ने चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने अब से पहले उज्जैन के तीन सिंहस्थ कुंभ देखे हैं, मगर कभी भी इस तरह से मुख्यमंत्री का प्रचार होते नहीं देखा, क्योंकि यह आयोजन धार्मिक है और सरकार का काम सिर्फ प्रबंध करना होता है. इसके उलट आज सिंहस्थ के विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की तस्वीरें भरी पड़ी है. उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री रोज-रोज उज्जैन पहुंच रहे हैं, इससे व्यवस्था सुधरने की बजाय बिगड़ रही है.

उधर लोगों का मानना है कि अगर श्रद्धालुओं को आमंत्रित करने के लिए सरकार को विज्ञापनों का सहारा लेना जरूरी ही है, तो उसे शंकराचार्यों की तस्वीरें और संदेश वाले विज्ञापन जारी किए जाना चाहिए, क्योंकि यह सरकारी नहीं, बल्कि धार्मिक आयोजन है.

प्रचार में सरकारी वेबसाइट भी पीछे नहीं

प्रचार के मामले में तो सरकारी वेबसाइट ने सभी को पीछे छोड़ दिया है. इस वेबसाइट पर नीचे लोग क्षिप्रा नदी की आरती कर रहे हैं, तो उसके ऊपर मुख्यमंत्री की हाथ जोड़े तस्वीर चस्पा है.

सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की बड़ी-बड़ी तस्वीरें प्रकाशित किए जाने पर उठ रहे सवालों को लेकर जनसंपर्क विभाग और अधिकारियों ने अब तक कोई सफाई नहीं दी है.

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