यूपी में तकरीबन 47% महिला वोटर्स हैं. वोट डालने के मामले में भी महिलाएं पुरुषों से आगे हैं. खास बात ये है कि विधानसभा चुनाव में महिलाओं का रुझान पुरुषों के मुकाबले ज्यादा देखा जाता है.
ये आंकड़े बताते हैं कि विधानसभा चुनावों में महिलाओं का रुझान आम चुनाव की अपेक्षा ज्यादा होता है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि स्थानीय मुद्दे जैसे पानी, बिजली और शासन व्यवस्था महिलाओं को सीधे-सीधे प्रभावित करती हैं. वहीं राष्ट्रीय सरकार की नीतियां पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करती हैं.
ऐसे में साल 2017 के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए खास तैयारी शुरू कर दी है.
बीजेपी ने स्मृति ईरानी को दी जिम्मेदारी
बीजेपी ने स्मृति ईरानी को यूपी की महिला मतदाताओं को लुभाने की कमान संभाली है. इसके लिए बीजेपी ने ‘उड़ान’ नामक कैंपेन शुरू किया है.
स्मृति ईरानी प्रदेश की तमाम विधानसभाओं में डिजिटल माध्यम की मदद से महिलाओं से संवाद स्थापित कर रही हैं.
कांग्रेस और सपा ने भी कसी कमर
कांग्रेस ने भी राज्य की तकरीबन 50% महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए खास तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी को मैदान में उतारा जा सकता है.
समाजवादी पार्टी के प्रमोशनल वीडियो में महिलाओं को खास तौर पर टारगेट किया गया है. खास बात ये है कि सपा ने महिला वोटरों को जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक महिला मतदाता के रूप में वोट मांगने की कोशिश की है.
अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सोशल मीडिया पर खासी एक्टिव हैं. इसके साथ ही चुनाव से पहले ही डिंपल यादव महिलाओं को ध्यान में रखकर किए जाने वाले आयोजनों में मुख्य भूमिका निभाती आई हैं.
डिंपल यादव लगातार महिला केंद्रित कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रही हैं और अब चुनाव के वक्त समाजवादी पार्टी महिला मतदाताओं के सामने पार्टी का सबसे चिर-परिचित चेहरा लेकर जाने की तैयारी में है.
मायावती ने अपने अंदाज में शुरू किया महिलाओं को रिझाना
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने महिलाओं को रिझाने के लिए अपने अंदाज में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. बीएसपी ने बुलंदशहर गैंगरेप और बदायूं डबल सुसाइड केस के खिलाफ आवाज उठाते हुए बीएसपी की सरकार बनाने की अपील की है.
बीएसपी ने महिला उम्मीदवारों को भी कैंडिडेट लिस्ट में जगह दी है.
लेकिन आसान नहीं है डगर
उत्तर प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के मुद्दे अलग-अलग हैं. ऐसे में पार्टियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये होगी कि क्या स्थानीय कार्यकर्ता और उम्मीदवार महिलाओं को रिझाने में कामयाब होंगे. सभी पार्टियों के चुनावी घोषणापत्रों के सामने आने पर भी काफी कुछ तय होगा कि आखिर पार्टियां किस हद तक महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करना चाहती हैं.
लेकिन एक बात तय है कि कोई भी पार्टी उत्तर प्रदेश में महिला मतदाताओं को अनदेखा नहीं कर सकतीं.
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