रामपुर जिला प्रशासन द्वारा मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट से जुड़ी 173 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए आदेश जारी किया गया है, जो समाजवादी पार्टी के सांसद मोहम्मद आजम खान के परिवार द्वारा संचालित और उनकी स्वामित्व में है. अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन) जे.पी. गुप्ता की अदालत ने शनिवार को फैसला सुनाया कि ट्रस्ट ने जमीन खरीदते वक्त राज्य सरकार के मानदंडों का उल्लंघन किया है, जिसके चलते उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को आदेश दिया गया कि वह जमीन का अधिग्रहण करें.
ADGC ने क्या कहा?
अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (एडीजीसी-सिविल) अजय तिवारी ने कहा, "ट्रस्ट ने सरकारी आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें उन्हें सिर्फ इस शर्त के आधार पर 12 एकड़ से अधिक जमीन की खरीद की अनुमति दी थी गई कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा." इसमें कहा गया था कि ट्रस्ट अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी के लोगों से संबंधित जमीन को नहीं खरीद सकेगा और न ही इनके द्वारा नदी के किनारे या इसके आसपास के क्षेत्रों व ग्राम समाज भूमि या 'चक' सड़क से संबंधित भूमि को खरीदा जा सकेगा, लेकिन ट्रस्ट ने इन शर्तों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश राजस्व अधिनियम की धाराओं का भी उल्लंघन किया है.
एडीजीसी ने आगे कहा, "अदालत ने इससे पहले सीतापुर जेल में बंद ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खान को नोटिस और समन जारी किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार करने से इंकार कर दिया."
यूपी जमींदारी उन्मूनल कानून की धज्जियां उड़ाने का आरोप
जनवरी 2020 में प्रयागराज में एक राजस्व बोर्ड की अदालत द्वारा सरकार को रामपुर में 12 दलित किसानों से जबरन खरीदी के लिए लगभग 100 बीघा जमीन के अधिग्रहण का आदेश दिया गया था. राजस्व बोर्ड ने पाया कि खान ने यूपी जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम की धज्जियां उड़ा दी थी.
खान 500 एकड़ की जमीन पर फैले मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के कुलपति हैं, जिसे 2006 में स्थापित किया गया था. वह इसे संचालित किए जाने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं, जबकि उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और दोनों बेटे ट्रस्ट के सदस्य हैं. आजम की बड़ी बहन ट्रस्ट की कोषाध्यक्ष हैं.
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