ADVERTISEMENTREMOVE AD

यूपी में इंवेस्टर्स समिट के बहाने दलित वोट चमकाने की तैयारी?

योगी सरकार इस समिट को लेकर काफी उत्साहित है. ऐसे में लखनऊ को बड़े ही करीने से सजाया जा रहा है.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

उत्तर प्रदेश में इन दिनों इंवेस्टर्स समिट की तैयारी चल रही है, जिसमें भारत के अलावा 20 देशों के निवेशकों को बुलाया गया है. योगी सरकार इस समिट को लेकर काफी उत्साहित है. ऐसे में लखनऊ को बड़े ही करीने से सजाया जा रहा है. पूरे महानगर में सजावट के ताबड़तोड़ काम चल रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा फोकस अंबेडकर पार्क और स्मारक हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या योगी सरकार, इंवेस्टर्स समिट के बहाने नजर दलित वोटों पर नजर गड़ाए है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

21 और 22 फरवरी को है इंवेस्टर्स समिट

लखनऊ में 21 और 22 फरवरी को इन्वेस्टर्स समिट होना है. इस बार सरकार ने निवेश के लिए अच्छी खासी मेहनत भी की है. कुछ दशकों से प्रदेश का माहौल उद्योग के अनूकुल न होने कारण यूपी सिर्फ राजनीति का अखाड़ा बन कर रह गयी है, जबकि उद्योग और उद्योगपति दूर हो गए. ऐसे में निवेशकों को भरोसा दिलाने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें यहां कारोबार का बेहतर माहौल मिलेगा. इसी कड़ी में सरकार लखनऊ को चमकानें में जुटी है.

करीब 150 करोड़ खर्च कर रही है सरकार

सरकार तकरीबन 150 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. खास बात ये है कि सरकार का ध्यान सबसे ज्यादा मायावती शासन काल में बने दलित महापुरुषों की मूर्तियों और पार्कों को चमकाने में हैं और इसे दिखाया भी जा रहा है. जिसके कारण राजनीतिक चर्चा तेज हो रही है कि मायावती के काम को 'भ्रष्टाचार' की नजर से देखने वाले बीजेपी आखिर बीएसपी सरकार की मूर्तियां क्यों चमका रही है. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साइकिल पथ की भी रंगाई-पुताई की जा रही है, लेकिन उस पर 'गेरुआ' रंग चढ़ाया जा रहा है. साफ है कि मायावती-अम्बेडकर की मूर्ति में चमक आए न आए, इस बहाने दलित वोट पर तो हाथ फेरा जा सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इशारे पहले ही दिए जा चुके हैं

6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासनादेश जारी किया कि सभी सरकारी दफ्तरों में डॉ अंबेडकर के चित्र लगाए जाएं. 31 जनवरी को योगी, रविदास जयंती पर वाराणसी में रविदास मंदिर पहुंचे, वहां न सिर्फ समय दिया बल्कि चंद्रग्रहण के बावजूद लंगर भी चखे, जो काफी चर्चा में रहा. इसके साथ ही संघ ने भी रविदास जयंती पर गांव-गांव दलित बस्तियों में बैठकें की.

दलित वोटों पर सेंध लगाने की कोशिश केन्द्र और राज्य सरकार लगातार कर रही है. नई दिल्‍ली में डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का उद्घाटन किया. लंदन में डॉ. भीमराव अंबेडकर को समर्पित स्मारक का उद्घाटन किया. 2016 यूपी विधानसभा से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लखनऊ आए तो अंबेडकर महासभा पहुंचे. यहीं नहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जयपुर बीजेपी कार्यालय जाते समय रास्ते में अंबेडकर सर्किल पर न सिर्फ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया बल्कि दलित के घर खाना भी खाया.

दलित वोट बीजेपी से दूर ही रहे हैं

पिछले विधान सभा चुनाव में जातीय समीकरण पर राजनीति कर रही छोटी-छोटी पार्टियों को मिला कर बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के वोटों पर तो काफी हद तक सफलता पा ली थी लेकिन दलित वोट दूर ही रहे है. ऐसे में यूपी में मजबूत पकड़ के लिए दलित वोटों पर बेहद जरूरी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रोपोगंडा में हीरो, परफॉर्मेंस में जीरो: कांग्रेस

कांग्रेस के प्रवक्‍ता अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं- ‘ये लोग प्रोपोगंडा में हीरो हैं और परफॉर्मेंस में जीरो हैं. मोदी 4 साल तक केवल प्रोपोगंडा चलाते रहे. अब यही काम उत्‍तर प्रदेश में योगी कर रहे हैं. इस सरकार में दलितों के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है. उन्हें सिर्फ लुभाने की कोशिश है. ये लोग सिर्फ बहला-फुसला रहे हैं.''

महापुरुषों को हथिया रही है बीजेपी: सपा

समाजवादी पार्टी के प्रवक्‍ता सुनील सिंह साजन ने कहा कि इस सरकार ने तो कुछ बनाया नहीं. अखिलेश यादव ने जो पार्क, रोड बनाया उसी को सजाया जा रहा है. साइकिल ट्रैक को सजा रहे हैं, भगवा रंग में रंग रहे हैं. इनका एक ही रंग है. ये पूरी सरकार जब से बनी है चाहे दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश, ये ‘महापुरुष छीनों अभियान में लगी है. ये दोहरे चरित्र के लोग हैं. इनको जब जरूरत पड़ती है तो वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति लगाने लगते हैं, जब जरूरत पड़ती है भीम साहब अंबेडकर को मानते है.

वहीं, योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा ने कहना है कि स्मारकों की खूबसूरती बनी रहे इसके लिए अंबेडकर स्मारक के मरम्मत का काम चल रहा है. इसमें कोई राजनीति नहीं है. बीएसपी या दलित वोट से इसका कोई लेना देना नहीं है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×