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मोदी-मोदी करने से नहीं मिलेगा टिकट, उत्तराखंड BJP चीफ की दो टूक

AAP की एंट्री के बाद एक्टिव मोड में आई उत्तराखंड की पॉलिटिक्स

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उत्तराखंड में चुनाव होने को अभी डेढ़ साल बाकी है, लेकिन अभी से राज्य में चुनावी माहौल बनना शुरू हो चुका है. दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद बीजेपी, कांग्रेस और अन्य स्थानीय दल एक्टिव दिख रहे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी ने भी विवादों में रहने वाले विधायक प्रणव सिंह चैंपियन की वापसी पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लेकिन अब खुद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी पार्टी के नेताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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‘पहाड़ों से चुनाव जीतकर शहरों में आराम’

उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी और कांग्रेस सत्ता के लिए अपनी बारी का इंतजार करती हैं. लेकिन दोनों पार्टियों पर हमेशा ये आरोप लगते आए हैं कि चुनाव जीतने के बाद उनके नेता राजधानी देहरादून से बाहर नहीं निकलते हैं. चुनावी सीजन शुरू होने के बाद ही पहाड़ों का रुख किया जाता है.

अब इन्हीं आरोपों को खुद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने साबित कर दिया है. उन्होंने इशारों-इशारों में ये बात बता दी है कि विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं जाते हैं. साथ ही प्रदेश बीजेपी चीफ ने ये भी साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से ही राज्य में पार्टी का भला नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा,

“नरेंद्र मोदी एक महान नेता हैं, लेकिन विधायकों को उनके विधानसभा क्षेत्रों में जाना चाहिए, लोगों से मिलना चाहिए और उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए. इन सभी विधायकों को अगले चुनावों में उनके प्रदर्शन के हिसाब से टिकट दिए जाएंगे. सिर्फ मोदी-मोदी चिल्लाने से उन्हें टिकट नहीं मिलने वाला है. मोदी लहर के सहारे किसी की नैय्या पार नहीं होगी.”
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अचानक कैसे गरमाई उत्तराखंड की पॉलिटिक्स?

उत्तराखंड में लगातार पॉलिटिकल पार्टियां एक्टिव हो रही हैं. आम आदमी पार्टी की एंट्री सभी के लिए एक वेक अप कॉल की तरह साबित होती दिख रही है. जैसा कि आपने बीजेपी चीफ का बयान पढ़ा, कि कैसे पार्टी अब नेताओं को बता रही है कि उन्हें जमीन पर उतरना होगा और जनता से मेलजोल बढ़ाना होगा.

हालांकि ये एक बड़ा सवाल है कि जो विधायक पिछले साढ़े तीन साल से अपने क्षेत्र में नहीं गए वो अब अगर चुनावों को देखते हुए पहाड़ों की ओर भागते हैं तो जनता उन्हें कितना स्वीकार करती है.

बीजेपी के अलावा कांग्रेस लगातार अपने भीतरी युद्ध को शांत करने में जुटी है. हमेशा की तरह इस बार भी कांग्रेस में कई धड़े बन चुके हैं. जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पिछले कई महीनों से लगातार एक्टिव हैं और दावा कर रहे हैं कि वो किसी भी हाल में वापसी करेंगे. वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का धड़ा अलग बताया जा रहा है. चुनाव नजदीक हैं, लेकिन पार्टी फिलहाल भीतर घात से ही नहीं उबर पा रही है.

बीजेपी-कांग्रेस के अलावा उत्तराखंड आंदोलन से जन्म लेने वाली स्थानीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल भी कुछ हद तक एक्टिव नजर आ रहा है. पार्टी के नेता अब सामने आते दिख रहे हैं. वहीं AAP के बाद समाजवादी पार्टी ने भी उत्तराखंड की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है.

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AAP ने खोला बीजेपी के खिलाफ मोर्चा

उत्तराखंड में चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी सबसे पहले राज्य में सक्रिय हुई. लेकिन कुछ ही दिनों बाद पार्टी को बीजेपी के खिलाफ एक ऐसा मुद्दा मिल गया, जिसे वो अब किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाहती है. बीजेपी ने अपने दागी विधायक प्रणव सिंह चैंपियन को वापस पार्टी में शामिल कर लिया. चैंपियन ने शराब पीते हुए एक वीडियो में उत्तराखंड को गाली दी थी. जिसके बाद अब आम आदमी पार्टी और तमाम अन्य दल बीजेपी के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं बीजेपी के कई बड़े नेता भी पार्टी के इस फैसले से खुश नहीं हैं.

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